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    पढ़ने-पढ़ाने को लेकर अब जिलों में लगी होड़, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति ने बनाया माहौल

    By Jagran NewsEdited By: Piyush Kumar
    Updated: Sat, 22 Jul 2023 08:58 PM (IST)

    पीजीआइ रिपोर्ट-2021- 22 में देश के जिन जिलों में बड़े सुधार दिखे है उनमें उत्तर प्रदेश के वाराणसी गोरखपुर महोबा बुलंदशहर आदि जिले रहे है हालांकि इस दौरान कई जिलों के प्रदर्शन में गिरावट भी दर्ज हुई है उनमें मेरठ लखनऊ और बस्ती जैसे जिले शामिल है। यह वर्ष 2018-19 में उत्तम श्रेणी में थे लेकिन अब ये प्रचेष्ठा-1 की श्रेणी में आ गए है।

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    वर्ष 2018-19 के मुकाबले देश के 194 जिलों में अपनी ग्रेड में सुधार किया: पीजीआई रिपोर्ट 2021-22

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) की सिफारिशों के पूरी तरह से अमल में अभी भले ही और वक्त लगेगा, लेकिन इसके आने के बाद देश में पढ़ने-पढ़ाने को लेकर बने माहौल का असर अब दिखने लगा है। सभी राज्यों में शिक्षा के स्तर में सुधार को लेकर प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है।

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    इसका अंदाजा परफार्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स (PGI) की हाल ही में आयी रिपोर्ट से लगाया जा सकता है, जिनमें असम के एक जिले को छोड़ दें तो देश में अब आकांक्षी जिलों की श्रेणी में एक भी जिला नहीं रहा है। इतना ही नहीं, शिक्षा के स्तर को आंकने की पीजीआई की दूसरी निचली ग्रेड में भी शामिल जिलों की संख्या तेजी से कमी दर्ज हुई है।

    देश के 194 जिलों में अपनी ग्रेड में किया सुधार: पीजीआई रिपोर्ट

    वर्ष 2021-22 की पीजीआई रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018-19 के मुकाबले देश के 194 जिलों में अपनी ग्रेड में सुधार किया है। शिक्षा मंत्रालय की ओर से जारी पीजीआई रिपोर्ट में स्कूली शिक्षा में दिख रहे सुधारों से साफ है, कि नीति आने के बाद राज्यों का स्कूलों में सुधार को लेकर फोकस बढ़ा है। हालांकि, लर्निंग आउटकम व गुणवत्ता जैसे क्षेत्रों में अभी भी काफी सुधार की जरूरत है।

    158 जिलों के प्रदर्शन में गिरावट दर्ज की गई

    रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018-19 के मुकाबले देश के जिन 194 जिलों के प्रदर्शन में सुधार हुआ है, उनमें से सात जिलों ने लंबी छलांग लगाते हुए अपने पिछले प्रदर्शन में तीन श्रेणियों तक का सुधार किया है। जबकि 23 जिलों में दो श्रेणी और करीब 164 जिलों ने एक श्रेणी की छलांग लगाई है। इसके साथ ही देश के करीब 375 जिलों ने अपनी पिछली श्रेणी को ही बरकरार रखा है। इस दौरान 158 जिलों के प्रदर्शन में गिरावट भी दर्ज हुई है, हालांकि इसकी वजह नीति के तहत तैयार किए नए मानक बताए जा रहे है।

    यूपी के इन जिलों के प्रदर्शन में दर्ज की गई गिरावट

    पीजीआइ रिपोर्ट-2021- 22 में देश के जिन जिलों में बड़े सुधार दिखे है, उनमें उत्तर प्रदेश के वाराणसी, गोरखपुर, महोबा, बुलंदशहर आदि जिले रहे है, हालांकि इस दौरान कई जिलों के प्रदर्शन में गिरावट भी दर्ज हुई है, उनमें मेरठ, लखनऊ और बस्ती जैसे जिले शामिल है। यह वर्ष 2018-19 में उत्तम श्रेणी में थे, लेकिन अब ये प्रचेष्ठा-1 की श्रेणी में आ गए है।

    श्रीनगर ने उत्तम श्रेणी में बनाया जगह

    इसके साथ ही झारखंड के गढ़वा जिले ने अपने प्रदर्शन को सबसे बेहतर किया है, उनमें प्रचेष्ठा-2 की श्रेणी से उत्तम श्रेणी में जगह बनाई है। जम्मू-कश्मीर से सिर्फ श्रीनगर जिला ही उत्तम श्रेणी में जगह बना पाया है। इसके अतिरिक्त जिन राज्यों में बड़ा बदलाव दिखा है उनमें मध्य प्रदेश के भिंड, दमोह, पन्ना, रायसेन और छत्तरपुर जैसे जिले रहे है, जिन्होंने उत्तम श्रेणी में जगह बनाई है।

    गौरतलब है कि स्कूली शिक्षा के क्षेत्र में जिला का यह प्रदर्शन अलग-अलग 83 मानकों पर परखा गया था। जिसमें लर्निंग आउटकम से लेकर, शिक्षकों की उपलब्धता, इंफ्रास्ट्रक्चर, बच्चों की सुरक्षा, डिजिटल लर्निंग आदि शामिल है।

    पीजीआई में है दस श्रेणियां

    पीजीआई की जो दस श्रेणियां बनाई गई है, उनमें पहली श्रेणी दक्ष, दूसरी उत्कर्ष, तीसरी- अति उत्तम, चौथी- उत्तम, पांचवीं- प्रचेष्टा-1, छठवीं- प्रचेष्टा-2, सातवीं- प्रचेष्टा-3,आठवीं- आकांक्षी-1, नौवीं-आकांक्षी- 2 और दसवीं आकांक्षी-3 है।

    एनईपी की 80 फीसद सिफारिशों पर हुआ अमल

    एनईपी के अमल को लेकर सरकार इन दिनों तेजी से जुटी हुई है। करीब अस्सी फीसद सिफारिशों पर अब तक अमल शुरू हो गया है। इस बीच जो अहम सिफारिशें जमीन पर दिखने लगी है, उनमें बालवाटिका (प्री-प्राइमरी) का गठन है। शिक्षा मंत्रालय के मुताबिक सभी राज्यों ने इस पर काम शुरू कर दिया है।

    इसके तहत आंगनबाड़ी को ही बालवाटिका के रूप में तब्दील कर स्कूली शिक्षा से जोड़ा जा रहा है। जहां आंगनबाड़ी नहीं है वहां इसके लिए नया ढांचा तैयार किया जा रहा है। अभी तक स्कूली शिक्षा में प्री-पाइमरी जैसा कोई ढांचा नहीं था। शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव के लक्ष्यों के साथ नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जुलाई 2020 में लाया गया था।