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    किसानों और कृषि से जुड़ी योजनाओं में इन राज्यों नहीं दिखाई गंभीरता, खर्च कर सके सिर्फ 59 प्रतिशत बजट

    Updated: Sat, 18 Oct 2025 06:48 PM (IST)

    केंद्र सरकार ने कृषि भूमि की सिंचाई और उत्पादकता बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में वाटरशेड डेवलपमेंट कंपोनेंट जोड़ा है। सरकार ने इसके लिए पर्याप्त बजट आवंटित किया है, लेकिन ज्यादातर राज्यों ने इस योजना को गंभीरता से नहीं लिया है। समीक्षा के अनुसार, सभी राज्य मिलकर स्वीकृत बजट का केवल 59% ही खर्च कर पाए हैं, जबकि योजना की अवधि मार्च 2026 तक है। कृषि प्रधान राज्य पंजाब और उत्तर प्रदेश की स्थिति अपेक्षाकृत अधिक खराब है।

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    किसानों के बजट के खर्च करने में कई राज्य पीछे।

    जितेंद्र शर्मा, नई दिल्ली। देश में कृषि भूमि की सिंचाई के साथ उत्पादकता बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में वाटरशेड डेवलपमेंट कंपोनेंट जोड़ा।

    सरकार की मंशा है कि मिट्टी के क्षरण, पोषक तत्वों की कमी और जल प्रबंधन की समस्या आदि के कारण जिस कृषि भूमि की उत्पादकता कम है, उसे इस योजना से सुधारा जाए। इसके लिए केंद्र ने अपना खजाना खोल रखा है, लेकिन अधिकतर राज्यों ने किसानों और कृषि से जुड़ी इस योजना को गंभीरता से लिया ही नहीं।

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    समीक्षा में सामने आए आंकड़े कहते हैं कि सभी राज्य मिलाकर स्वीकृत बजट का कुल 59 प्रतिशत ही खर्च कर सके हैं, जबकि योजना की समयावधि मात्र मार्च-2026 तक है। हैरत है कि कृषि प्रधानता वाले राज्य पंजाब और उत्तर प्रदेश की स्थिति तुलनात्मक रूप से अधिक खराब है।

    8134 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया

    प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के वाटरशेड डेलवपमेंट कंपोटेंट का जिम्मा ग्रामीण विकास मंत्रालय के भूमि संसाधन विकास विभाग के पास है। सिंचाई योजना में इस घटक को वर्ष 2015-16 में जोड़ा गया। इसके बाद वर्ष 2021 में इसका दूसरा चरण वर्ष 2026 तक के लिए आगे बढ़ाया गया।

    मंत्रालय के दस्तावेजों के अनुसार, इस योजना के लिए सरकार ने 49.50 लाख हेक्टेयर भूमि का लक्ष्य तय कर 8134 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया। विशेषज्ञों का मत था कि राज्य यदि इस योजना पर गंभीरता से काम करेंगे तो कृषि भूमि की उत्पादकता बढ़ेगी और किसानों की आय भी बढ़ेगी। मगर, योजना के चार वर्ष बीतने के बाद जब सरकार तीसरे चरण की तैयारी कर रही है तो सामने आया है कि पर्याप्त बजट उपलब्ध होने के बावजूद राज्य सरकारों ने इस दिशा में उम्मीद के मुताबिक काम ही नहीं किया।

    59 प्रतिशत ही बजट हो पाया खर्च

    अगस्त-2025 तक की समीक्षा रिपोर्ट में बताया गया है कि सभी राज्य मिलाकर कुल 59 प्रतिशत बजट ही खर्च कर सके हैं। मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया कि केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने समीक्षा करते हुए राज्यों से आग्रह किया था कि वह मार्च-2026 तक अधिक से अधिक बजट का उपयोग कर लें। यह योजना कृषि उत्पादकता और किसानों की आय बढ़ाने के लिए बहुत उपयोगी है।

    केंद्रीय मंत्री ने यह भी संकेत कर दिया कि यदि राज्य बजट का पूरा उपयोग नहीं कर सके तो वित्त मंत्रालय द्वारा योजना के आगामी चरण के लिए बजट में कमी की जा सकती है। बेहतर प्रदर्शन वाले राज्यों को अगले चरण में भी अधिक बजट आवंटित किया जाएगा।

    प्रमुख राज्यों की खर्च की स्थिति

    कर्नाटक- 82.20 प्रतिशत, ओडिशा- 75.49 प्रतिशत, मध्य प्रदेश- 66 प्रतिशत, बिहार- 57.70 प्रतिशत, झारखंड- 57.69 प्रतिशत, महाराष्ट्र- 54 प्रतिशत, राजस्थान- 53.48 प्रतिशत, उत्तराखंड- 42.77 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश- 40.70 प्रतिशत, तेलंगाना- 35 प्रतिशत और पंजाब- 30.82 प्रतिशत।

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