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    पराली से होने वाले प्रदूषण को रोकने पर मंथन शुरू, कृषि मंत्री शिवराज चौहान ने की राज्यों के साथ बैठक

    Updated: Tue, 07 Oct 2025 10:00 PM (IST)

    केंद्र सरकार ने पराली जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए राज्यों के साथ मिलकर रणनीति बनाई है। कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की बैठक में किसानों को जागरूक करने वित्तीय सहायता निगरानी और फसल विविधीकरण पर चर्चा हुई। शिवराज सिंह चौहान ने पराली जलाने से रोकने के लिए वित्तीय सहयोग और जागरूकता पर जोर दिया।

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    पराली आधारित उद्योगों के विस्तार पर हुई चर्चा (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने राज्यों के साथ मिलकर ठोस रणनीति पर काम शुरू कर दिया है। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव की नई दिल्ली में हुई संयुक्त बैठक में किसानों को जागरूक करने, वित्तीय सहायता, निगरानी, फसल विविधिकरण और पराली आधारित उद्योगों के विस्तार पर विस्तार से चर्चा हुई।

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    बैठक में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री और दिल्ली के पर्यावरण मंत्री वर्चुअल रूप से शामिल हुए। शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि किसानों को वित्तीय सहयोग और जागरूकता के जरिए पराली जलाने से रोकना जरूरी है। उन्होंने जनप्रतिनिधियों से भी भागीदारी की अपील की ताकि जागरूकता गांव-गांव तक पहुंचे।

    सीधे गेहूं की होगी बुवाई

    चौहान ने राज्यों से सीधी बुवाई और फसल विविधिकरण को बढ़ावा देने पर जोर दिया और कहा कि वह 12 अक्टूबर को अपने खेत में धान कटाई के बाद सीधे गेहूं की बुवाई कर इसकी शुरुआत करेंगे। बैठक में हरियाणा ने बताया कि किसानों को वित्तीय सहायता देकर पराली जलाने से हतोत्साहित किया जा रहा है, जिससे सकारात्मक परिणाम मिले हैं। पंजाब और उत्तर प्रदेश ने भी अपने-अपने राज्यों में चल रही योजनाओं की जानकारी दी।

    चौहान ने कहा कि राज्यों के प्रयास सराहनीय हैं, पर निरंतर निगरानी और जनजागरूकता बेहद आवश्यक है। कृषि मंत्री ने कहा कि पराली प्रबंधन से जुड़ी धनराशि का उपयोग सुनिश्चित किया जाए ताकि मशीनों की उपलब्धता में कमी न रहे। उन्होंने पराली से बायो-सीएनजी, पैलेट, कंपोस्ट बनाने और इन्हें उद्योगों व थर्मल प्लांटों से जोड़ने पर जोर दिया।

    भूपेंद्र यादव ने राज्यों और कृषि मंत्रालय के बीच अगले 10 दिनों में समन्वय को और मजबूत करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि पराली का संकलन और भंडारण अत्यंत जरूरी है ताकि इसे ईंट भट्टों और पावर संयंत्रों में उपयोग किया जा सके। बैठक के अंत में दोनों मंत्रियों ने विश्वास जताया कि केंद्र और राज्यों के समन्वित प्रयासों से पराली जलाने की घटनाओं में निश्चित रूप से कमी आएगी।

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