Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    History of Indian Trains: 150 साल से भी ज्यादा समय से चल रही है सबसे पुरानी भारतीय ट्रेन, आजादी से पहले शुरू हुईं थीं ये 5 ट्रेनें

    By Babli KumariEdited By:
    Updated: Thu, 29 Sep 2022 06:11 PM (IST)

    भारतीय रेल (Indian Railways) एशिया का दूसरा सबसे बड़ा रेल नेटवर्क है। यह 160 वर्षों से भी अधिक समय से भारत में परिवहन का मुख्य साधन रहा है। तो आइए जानते हैं कि आजादी से पहले कौन सी ट्रेनें चलीं और कितनी ट्रेनें अभी भी पटरी पर दौड़ रही है।

    Hero Image
    150 साल से भी ज्यादा समय से चल रही है सबसे पुरानी भारतीय ट्रेन

    नई  दिल्ली, आनलाइन डेस्क। भारत में रेल का इतिहास 160 साल से भी पुराना है। स्वतंत्रता के बाद से भारतीय रेल ने देश को नए रूप में परिभाषित किया है। 1.2 लाख किलोमीटर के रेल नेटवर्क के साथ भारत दुनिया में चौथे स्थान पर है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हमारे देश की पहली ट्रेन रेड हिल रेलवे थी, जो 1837 में रेड हिल्स से चिंताद्रिपेट पुल तक 25 किलोमीटर चली थी। सर आर्थर कॉटन को इस ट्रेन के निर्माण का श्रेय दिया जाता है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से ग्रेनाइट के परिवहन के लिए किया जाता था।

    1847 में जब ईस्ट इंडिया कंपनी और ग्रेट पेनिनसुला रेलवे ने मिलकर 56 किलोमीटर का बॉम्बे से ठाणे तक लम्बा ट्रैक बनाया तब जाकर भारत की पहली सवारी रेलगाड़ी चली थी। 16 अप्रैल 1853 को बोरीबंदर (बॉम्बे) से ठाणे 34 किलोमीटर तक पैसेंजर ट्रेन चली थी।

    शुरुआती दिनों में ब्रिटिश-भारतीय रेलवे कंपनियों ने नवीनतम इंजनों और उपकरणों के साथ हर जगह रेलवे लाइन फैलाई और भारत में भारी निवेश किया। कहा जाता है कि उन दिनों भारत की ट्रेनों में मिलने वाली सुविधाएं इंग्लैंड से भी बेहतर थीं।

    विभाजन के बाद भूगोल, इतिहास और समाज में बड़े बदलावों के बावजूद ये ट्रेनें राष्ट्र का हिस्सा बनी रहीं और अपने कर्तव्य का निर्वहन करती रहीं। आज हम कुछ ऐसे ही ट्रेनों के बारे में जानेंगे जो अभी भी भारतीय रेलवे का हिस्सा हैं और जो ब्रिटिश काल की यादों को समेटे हुए पटरियों पर आज भी दौड़ रही हैं।

    पंजाब मेल (1 जून 1912)

    पंजाब मेल भारतीय रेलवे की सबसे पुरानी और लंबी दूरी तय करने वाली ट्रेनों में से एक है। पहले इसे पंजाब लिमिटेड के रूप में जाना जाता था। इसी साल 1 जून 2022 को इस ट्रेन ने 110 साल पूरे किए हैं। आजादी के पहले शुरू हुई यह ट्रेन आज भी चल रही है, बस फर्क इतना आया है कि पहले यह बाम्बे से पेशावर (अब पाकिस्तान में) तक जाती थी।

    विभाजन से पहले इस ट्रेन को ब्रिटिश भारत में सबसे तेज ट्रेन होने का श्रेय प्राप्त था। पंजाब लिमिटेड का मार्ग बड़े हिस्से के लिए जीआईपी ट्रैक पर चलता, और पेशावर छावनी में समाप्त होने से पहले इटारसी, आगरा, दिल्ली, अमृतसर और लाहौर से होकर गुजरता था। पंजाब मेल अभी सेंट्रल रेलवे जोन में आती है और मुंबई और फिरोजपुर के बीच चलती है।

    फ्रंटियर मेल (1 सितंबर 1928)

    'फ्रंटियर मेल' ने भी अविभाजित भारत को देखा है। यह रेलगाड़ी पंजाब मेल चलने के लगभग 16 साल बाद शुरू हुई थी। एक सितंबर, 1928 को यह ट्रेन पहली बार चली थी। बैलार्ड पायर के बंद होने के तुरंत बाद इसने कोलाबा होते हुए मुंबई से पेशावर तक परिचालन शुरू कर दिया था।

    1930 में द टाइम्स ऑफ लंदन ने इसे ब्रिटिश साम्राज्य में चलने वाली सबसे प्रसिद्ध एक्सप्रेस ट्रेनों में से एक के रूप में वर्णित किया था। स्वतंत्रता के बाद यह केवल बॉम्बे से दिल्ली होते हुए अमृतसर तक जाया करता थी। सितंबर 1996 में फ्रंटियर मेल का औपचारिक रूप से नाम बदलकर 'गोल्डन टेम्पल एक्सप्रेस' कर दिया गया है। साल 1934 में इस ट्रेन में एयर कंंडीशनर लगाए गए थे और यह भारत की पहली वातानुकूलित बोगी वाली ट्रेन बनी थी।

    ग्रैंड ट्रंक एक्सप्रेस (1 अप्रैल 1929) 

    जीटी एक्सप्रेस या ग्रैंड ट्रंक एक्सप्रेस भी भारत की सबसे पुरानी ट्रेनों में से एक है। काजीपेट-बल्हारशाह सेक्शन के बनने के तुरंत बाद ही 'जीटी' शुरू हो गई थी, जो दिल्ली-मद्रास मार्ग की अंतिम कड़ी थी। शुरुआत में यह पेशावर से मैंगलोर तक चली और इसकी पूरी यात्रा में लगभग 104 घंटे लगते थे। यह देश के सबसे लंबे रेलमार्गों में शामिल था। बाद में इस सेवा को लाहौर-मेट्टुपलायम तक बढ़ाया गया। 1930 में दिल्ली और मद्रास के बीच दौड़ते हुए इसे अपना वर्तमान रूट प्राप्त हुआ था।

    बॉम्बे पूना मेल (21 अप्रैल 1863) 

    बॉम्बे-पूना मेल ग्रेट इंडियन पेनिनसुला रेलवे द्वारा मुंबई-पुणे सेक्शन पर चलने वाली एक शानदार ट्रेन थी। यह 1869 में पहली बार चली थी। मुंबई और पुणे के बीच शुरू हुई यह पहली इंटरसिटी ट्रेन थी। यह ट्रेन, डेक्कन क्वीन एक्सप्रेस के साथ मिलकर कई वर्षों तक मुंबई-पुणे यात्रियों की सेवा करती रही। माना जाता है कि यह ट्रेन रॉयल मेल ले जाने वाली और ब्रिटिश साम्राज्य की बेहतरीन ट्रेनों में से एक थी।

    कालका मेल (1 जनवरी 1866) 

    कालका मेल भी भारतीय रेलवे के इतिहास में सबसे पुरानी चलने वाली ट्रेन है। इस ट्रेन ने इसी साल 156 साल पूरे किए हैं। यह ट्रेन 1866 में 01 अप और 02 डाउन नंबर प्लेट के साथ "ईस्ट इंडियन रेलवे मेल" के रूप में पटरी पर उतरी थी।

    ये ऐतिहासिक ट्रेनें हमारे देश के इतिहास का हिस्सा हैं। बंटवारे के दौरान इन ट्रेनों में बड़ी संख्या में शरणार्थियों ने सफर किया था। देश के बंटवारे के समय जो दर्द और पीड़ा थी उसे इन ट्रेनों ने भी महसूस किया है। लेकिन  समय की पटरी पर दौड़ते हुए इन्होंने बगैर थके अपने कर्त्तव्य का पालन किया और यात्रियों की सेवा की। उपरोक्त ट्रेनों में यात्रा करना और भारतीय रेलवे के समृद्ध इतिहास पर गौरव करते रहना हमारा कर्तव्य बनता है।

    भारतीय रेलवे का सफरनामा

    • देश में पहली बार 22 दिसंबर, 1851 को रेल पटरी पर दौड़ी।
    • पहली यात्री रेल 16 अप्रैल, 1853 को मुबंई से ठाणे के बीच चली।
    • वर्ष 1890 में भारतीय रेलवे अधिनियम पारित किया गया।
    • वर्ष 1950 में भारतीय रेलवे का राष्ट्रीयकरण हुआ था।
    • वर्ष 1952 में छह जोनों के साथ जोनल सिस्टम शुरू होकर वर्तमान में 17 जोन हैं।
    • भारतीय रेल दुनिया में सबसे लंबे और व्यस्त नेटवर्क में से एक मानी जाती है।
    • वर्ष में छह अरब से भी अधिक मुसाफिर रेल से यात्रा करते हैं।
    • फेयरी क्वीन दुनिया में सबसे पुराना इंजन है, जो अभी भी दौड़ता है।
    • वर्ष 2004 में इंटरनेट के माध्यम से आरक्षण प्रारंभ हुआ।
    • वर्ष 2007 में देशभर में टेलीफोन नम्बर 139 द्वारा व्यापक सामान्य ट्रेन पूछताछ सेवा प्रारंभ की गई।

    यह भी पढ़ें- First Encounter Of India: 40 साल पहले हुआ था देश में पहला एनकाउंटर, मुंबई का बदमाश बना था पुलिस की गोली का शिकार

    यह भी पढ़ें- Encounter Specialist: कहानी उन वर्दीवालों की जिनके नाम से छूट जाते हैं बदमाशों के पसीने, सुपरकॉप जो कहलाए एनकाउंटर स्पेशलिस्ट