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    क्या आपके शहर के नाम के पीछे भी लगा है 'पुर' या 'बाद'? इसका मतलब जान लीजिए

    Updated: Sat, 27 Sep 2025 04:52 PM (IST)

    क्या आप जानते हैं कि शहरों के नामों के पीछे पुर या बाद क्यों लगा होता है? पुर का आशय शहर या किला से होता है जिसका उपयोग ऋग्वेद काल से हो रहा है। राजा-महाराजा अपने नाम के बाद पुर शब्द जोड़कर शहरों का नाम रखते थे। बाद शब्द फारसी के आबाद का अपभ्रंश है जिसका अर्थ है रहने योग्य जगह।

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    क्या आपके शहर के नाम के पीछे भी लगा है 'पुर' या 'बाद'? (सोशल मीडिया)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। आपने सफर के दौरान अक्सर शहरों के नाम के पीछे 'पुर' या 'बाद' लगा हुआ देखा होगा, जैसे रामपुर, कानपुर, जलालाबाद, मुरादाबाद। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर शहरों के नामों के पीछे 'पुर' या 'बाद' क्यों लगा होता है? आइए जानते हैं।

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    शहरों के नाम में 'पुर' की कहानी

    पुर का आशय 'शहर' या 'किला' से होता है। संस्कृत भाषा से लिया गया ये शब्द प्राचीन काल में इस्तेमाल होता था। 'पुर' शब्द का इस्तेमाल ऋग्वेद काल से होता आ रहा है, उदाहरण के लिए महाभारत में हस्तिनापुर जैसे शहरों का नाम मिलता है। मौजूदा समय में भारत में कई शहर ऐसे हैं जिनके पीछे पुर लगा हुआ है। जैसे, जयपुर, उदयपुर, नागपुर, कानपुर, रामपुर, रायपुर, गोरखपुर, शिकारपुर, बिलासपुर।

    माना जाता है कि राजा- महाराजा किसी नए शहर को बसाते थे तो उसका नामकरण अपने नाम से करते थे। इसके लिए वो अपने नाम के बाद में 'पुर' शब्द जोड़कर नए शहरों का नाम रखा करते थे। जैसे राजा जयसिंह ने अपने नाम के बाद 'पुर' लगाकर शहर का नाम जयपुर रखा।

    शहरों के नाम में 'बाद' की कहानी

    जैसे शहरों के नाम के अंत में 'पुर' आता है वैसे ही कई शहरों में 'बाद' भी आता है। जैसे- मुरादाबाद, जलालाबाद, इलाहाबाद, अहमदाबाद, गाजियाबाद, फिरोजाबाद, शिकोहाबाद, फर्रुखाबाद, निजामाबाद, हैदराबाद। 'बाद' से खत्म होने वाले शहर भारत के अलावा बांग्लादेश में जलालाबाग और पाकिस्तान इस्लामाबाद और एबटाबाद जैसे शहर भी हैं।

    फारसी के 'आबाद' का अपभ्रंश है 'बाद'

    आपको बता दें कि 'बाद' शब्द फारसी के 'आबाद' का अपभ्रंश है। फारसी में 'आब' का अर्थ पानी होता है। इस पूरे शब्द का अर्थ है कोई भी गांव, शहर या प्रांत, जहां पर खेती हो सके या वो जगह रहने योग्य हो।

    कहा जाता है कि मुगलकाल के दौरान जब किसी शहर या जगह का नाम रखा जाता था तो वहां के राजा के नाम के साथ आबाद जोड़ दिया जाता था। इससे न सिर्फ वहां मुगल सल्तनत की छाप छोड़ दी जाती थी बल्कि शहर के लोगों को पहचान देने की भी कोशिश होती थी।

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