देश की धीमी ग्रोथ रेट पर सरकार गंभीर, रोजगार बढ़ाने के उपायों पर बजट में कर सकती है नई घोषणा
धीमी विकास दर पर सरकार गंभीर है। सरकार रोजगार बढ़ाने के उपायों पर बजट में घोषणा कर सकती है। सरकार का फोकस आगामी वित्त वर्ष 2025-26 में लोगों को रोजगार देना और निर्यात बढ़ाना खासतौर पर बना हुआ है। चालू वित्त वर्ष में विकास दर मात्र 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है जो चार साल में सबसे कम विकास दर होगी। इससे निपटने के लिए सरकार गंभीर है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। चालू वित्त वर्ष 2024-25 में धीमी विकास के अनुमान को देखते हुए आगामी वित्त वर्ष 2025-26 में रोजगार और खपत बढ़ाना सरकार की प्रमुखता होगी। रोजगार बढ़ाने के लिए सरकार मैन्यूफैक्चरिंग को और प्रोत्साहित करने के उपायों की घोषणा कर सकती है। वहीं खपत बढ़ाने के उद्देश्य से मनरेगा के तर्ज पर शहरी इलाकों के लिए किसी स्कीम की घोषणा हो सकती है।
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में विकास दर मात्र 6.4 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है जो चार साल में सबसे कम विकास दर होगी। पिछले तीन सालों से विकास की औसत दर आठ प्रतिशत रही है। जानकार चालू वित्त वर्ष में विकास दर कम रहने के लिए मुख्य रूप से पूंजीगत खर्च में कमी के साथ मैन्यूफैक्चरिंग के कमजोर प्रदर्शन को जिम्मेदार बता रहे हैं।
चार साल में इस वित्त वर्ष में सबसे कम रहा पूंजीगत खर्च
पिछले चार सालों के दौरान चालू वित्त वर्ष में केंद्र व राज्य दोनों का सबसे कम पूंजीगत खर्च रहा है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में 17 बड़े राज्यों में सिर्फ पांच राज्यों ने पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में पूंजीगत व्यय के मद में अधिक खर्च किए हैं। चालू वित्त वर्ष के लिए बजट में पूंजीगत खर्च के मद में 11.11 लाख करोड़ का आवंटन किया गया था और नवंबर तक आवंटित राशि का 60 प्रतिशत भी खर्च नहीं हो सका है।
आगामी बजट में कौनसी स्कीम की हो सकती है घोषणा?
बैंक आफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सब्नविस के मुताबिक आगामी बजट में पूंजीगत खर्च के मद में आवंटन चालू वित्त वर्ष के आसपास ही रहेगा। लेकिन मैन्यूफैक्चरिंग को प्रोत्साहित करने के लिए जिन रोजगारपरक सेक्टर को प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (पीएलआई) स्कीम में शामिल नहीं किया गया है, उन्हें आगामी बजट में पीएलआई स्कीम में शामिल करने की घोषणा हो सकती है।
मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए सरकार करेगी ये उपाय
जानकारों का कहना है कि मैन्यूफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए बजट में निर्यात पर विशेष फोकस किया जा सकता है। खासकर मौजूदा हालात में जिन सेक्टर में अमेरिका में निर्यात बढ़ाने की संभावना है, उन्हें भी प्रोत्साहित किया जा सकता है। इनमें लेदर उत्पाद, अपैरल, केमिकल्स जैसे कुछ सेक्टर शामिल हैं।
जैविक उत्पाद के 147 अरब डॉलर के निर्यात बाजार में भारत की हिस्सेदारी तीन प्रतिशत से भी कम है। जैविक उत्पादों के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए भी सरकार बजट में किसानों के लिए स्कीम ला सकती है।
सर्विस सेक्टर करेगा उम्दा प्रदर्शन
औद्योगिक संगठनों का कहना है कि शहरी इलाके में खपत की रफ्तार धीमी हो गई है। शहरी इलाके के खपत में बढ़ोतरी के लिए सरकार मनरेगा के तर्ज पर स्कीम की घोषणा कर सकती है। चालू वित्त वर्ष में 7.2 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ सबसे उम्दा प्रदर्शन सर्विस सेक्टर के रहने का अनुमान है जबकि गत वित्त वर्ष 2023-24 में सर्विस सेक्टर की बढ़ोतरी दर 7.6 प्रतिशत थी।
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