Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    FTA पर अमल होने में लग सकता है एक साल, कई कड़ी प्रक्रियाओं का करना पड़ेगा सामना

    Updated: Sat, 26 Jul 2025 06:58 AM (IST)

    लंदन में ब्रिटेन और भारत के बीच गुरुवार को किए गए एफटीए को अमल में आने में एक साल का समय लग सकता है। ब्रिटेन सरकार को इस एफटीए को अपनी संसद के दोनों सदनों में पेश करना होगा। संसद से पारित होने के बाद ही उसे अमल में लाया जा सकता है। ब्रिटेन की संसद में पेश होने से पहले एफटीए को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाएगा।

    Hero Image
    ब्रिटेन संसद से पारित होने के बाद ही लागू होगा समझौता (सांकेतिक तस्वीर)

     जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। लंदन में ब्रिटेन और भारत के बीच गुरुवार को किए गए मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अमल में आने में एक साल का समय लग सकता है। ब्रिटेन सरकार को इस एफटीए को अपनी संसद के दोनों सदनों में पेश करना होगा। संसद से पारित होने के बाद ही उसे अमल में लाया जा सकता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

     एफटीए को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाएगा

    ब्रिटेन की संसद में पेश होने से पहले एफटीए को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाएगा। भारत में एफटीए पर अमल के लिए सिर्फ कैबिनेट की मंजूरी लेनी पड़ती है। दोनों देशों की तरफ से कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद अमल की तारीख की घोषणा की जाएगी।

    सरकार साल भर से पहले ही इसे अमल में लाने की कोशिश करेंगी

    वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल के अनुसार, ब्रिटेन मान रहा है कि भारत के साथ एफटीए से उनकी अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलने जा रहा है। इसलिए वहां की सरकार साल भर से पहले ही इसे अमल में लाने की कोशिश करेंगी।

    उत्पादों को ब्रिटेन के बाजार के अनुरूप तैयार करने का मौका मिलेगा

    अमल में आने के बाद एफटीए में तय शुल्क के हिसाब से दोनों देशों के बीच व्यापार शुरू हो जाएगा। बर्थवाल ने बताया कि मंत्रालय एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के माध्यम से ब्रिटेन के साथ हुए समझौते की विस्तृत जानकारी निर्यातकों को देगा और उन्हें यह भी बताएगा कि इस समझौते का वे किस तरीके से फायदा उठा सकते हैं। निर्यातकों को इस एक साल में अपनी क्षमता विस्तार के साथ अपने उत्पादों की गुणवत्ता ब्रिटेन के बाजार के अनुरूप तैयार करने का मौका मिलेगा।

    भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 81 करोड़ डॉलर की

    उदाहरण के लिए उन्होंने बताया कि ब्रिटेन के बाजार में भारत को अपने कृषि उत्पादों का निर्यात बढ़ाने का बड़ा अवसर मिलने जा रहा है क्योंकि ब्रिटेन सालाना 37.52 अरब डॉलर के कृषि उत्पादों का आयात करता है। इसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 81 करोड़ डॉलर की है।

    ऐसे ही ब्रिटेन 5.4 अरब डॉलर के समुद्री उत्पादों का आयात करता है, लेकिन इसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 2.2 प्रतिशत की है।

    ब्रिटेन 50 अरब डालर के प्रोसेस्ड फूड्स का आयात करता है, लेकिन इसमें भारत की हिस्सेदारी सिर्फ 31 करोड़ डालर की है।

    ऐसा अनुमान है कि अगले तीन साल में ब्रिटेन में भारतीय कृषि उत्पादों का निर्यात दोगुना से अधिक हो जाएगा। लेकिन इसके लिए कृषि उत्पादों के साथ प्रोसेस्ड आइटम की गुणवत्ता को ब्रिटेन के लायक बनाना होगा।

    जांच के बाद ही ब्रिटेन भेजे जाएंगे भारतीय उत्पाद

    एफटीए में यह तय किया गया है कि भारत में ब्रिटेन के गुणवत्ता नियम के मुताबिक उत्पादों की जांच की जाएगी। इसके बाद ही उन्हें ब्रिटेन भेजा जाएगा। वाणिज्य व उद्योग मंत्रालय निर्यात होने वाले कृषि उत्पादों की गुणवत्ता विश्वस्तरीय बनाने के लिए पहले से ही प्रयासरत है और कई लैब भी स्थापित किए जा रहे हैं।

    निर्यातकों से मिले फीडबैक के आधार पर राज्यों से भी बात की जाएगी ताकि सेक्टर के हिसाब से समझौता का लाभ उठाने के लिए रणनीति तैयार की जा सके। एफटीए से फायदा यह होता है व्यापार में शुल्क व सरकारी नीति को लेकर एक निश्चितता आ जाती है जिससे निर्यातक दूरगामी योजना तैयार कर सकते हैं।

    भारत से स्टील उत्पाद आयात पर शुल्क लगा सकता है ब्रिटेन

    कार्बन बार्डर एडजस्टमेंट मैकेनिज्म (सीबैम) के तहत ब्रिटेन भारत के स्टील आइटम पर शुल्क लगा सकता है। इस पर 2027 से अमल की उम्मीद है, लेकिन एफटीए में भारत ने साफ कर दिया है कि अगर ब्रिटेन सीबैम के तहत भारत के उत्पादों पर शुल्क लगाता है तो भारत भी उसकी क्षतिपूर्ति के लिए ब्रिटेन के उत्पादों पर शुल्क लगाने को लेकर स्वतंत्र होगा।

    यह भी पढ़ें- व्हिस्की, कार, चॉकलेट... भारत और ब्रिटेन के बीच FTA डील से क्या-क्या होगा सस्ता?