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    G-20: दो से चार फरवरी तक जोधपुर में होगी रोजगार कार्य समूह की पहली बैठक, जी-20 देश करेंगे मंथन

    By Jagran NewsEdited By: Sonu Gupta
    Updated: Thu, 12 Jan 2023 06:37 PM (IST)

    भारत की अध्यक्षता में चल रहे जी-20 सम्मेलन के तहत राजस्थान के जोधपुर में होने जा रही बैठक दुनिया के श्रमिकों-कामगारों के लिए महत्वपूर्ण होगी। रोजगार कार्य समूह की इस पहली बैठक में खास तौर पर असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा पर सदस्य देशों के प्रतिनिधि मंथन करेंगे।

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    श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा वैश्विक मुद्दा, जी-20 देश करेंगे मंथन। फाइल फोटो।

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत की अध्यक्षता में चल रहे जी-20 सम्मेलन के तहत राजस्थान के जोधपुर में होने जा रही बैठक दुनिया के श्रमिकों-कामगारों के लिए महत्वपूर्ण होगी। रोजगार कार्य समूह (एम्प्लायमेंट वर्किंग ग्रुप) की इस पहली बैठक में खास तौर पर असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों की सामाजिक सुरक्षा पर सदस्य देशों के प्रतिनिधि मंथन करेंगे। उद्योगों की जरूरत के अनुरूप कौशल विकास और कौशल विकास के वैश्विक मानक तय करने जैसे विषय भी एजेंडे में शामिल किए जा सकते हैं।

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    श्रमिकों की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा पर सदस्य देश करेंगे मंथन

    जोधपुर में दो से चार फरवरी तक होने जा रही जी-20 की इस बैठक के लिए श्रम एवं रोजगार मंत्रालय को नोडल बनाया गया है। मंत्रालय की ओर से श्रम और रोजगार संबंधी उन बिंदुओं को सूचीबद्ध किया जा रहा है, जिन्हें भारत अपनी ओर से चिंतन-मनन के लिए उठाना चाहता है। सूत्रों ने बताया कि कोरोना के बाद से ऐसे श्रमिकों या कामगारों की संख्या काफी बढ़ी है, जिनके सामने स्थानीय रोजगार का संकट है। तमाम देशों में यही परिस्थिति है, जिससे श्रमिकों की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा का मुद्दा भी वैश्विक हो चुका है। इसे लेकर जी-20 के सदस्य देश चिंतन-मनन करेंगे कि इन श्रमिकों की आर्थिक और सामाजिक सुरक्षा के लिए क्या किया जाना चाहिए।

    कई देशों में लगातार बढ़ रहा है श्रमिकों और कामगारों का संकट

    माना जा रहा है कि कौशल विकास यदि उद्योगों की मांग के अनुरूप किया जाए तो स्थिति में सुधार आ सकता है। इस समस्या को भी उठाने की तैयारी है कि किसी एक देश में यदि कौशल विकास का प्रमाण-पत्र कोई प्राप्त कर ले तो उसे दूसरे देश में मान्य नहीं किया जाता। भारतीय कामगारों के लिए यह संकट काफी बड़ा है। चूंकि, तमाम देशों में श्रमिकों और कामगारों का संकट भी लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में कौशल विकास के वैश्विक मानक तय कर लिए जाने चाहिए।

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