Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    शिक्षा के साथ मिले संस्कार, तभी आतंक का खात्मा

    By manoj yadavEdited By:
    Updated: Mon, 19 Jan 2015 09:11 PM (IST)

    केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के 57वें दीक्षांत समारोह में कहा कि केवल शिक्षा प्राप्त करने से ही जीवन को रचनात्मक दि ...और पढ़ें

    Hero Image

    जागरण ब्यूरो, लखनऊ। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के 57वें दीक्षांत समारोह में कहा कि केवल शिक्षा प्राप्त करने से ही जीवन को रचनात्मक दिशा नहीं मिल पाती है। यदि ऐसा होता तो आज उच्च शिक्षा प्राप्त नौजवान आतंकी गतिविधियों में लिप्त नहीं होते। यदि ऐसे नौजवान आतंकी गतिविधियों में शामिल हो रहे हैं तो यह उनमें संस्कारों और मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता के अभाव की वजह है। आतंकवाद व चरमपंथ का खात्मा शिक्षा के साथ संस्कारों का समावेश ही कर सकता है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    राजनाथ ने कहा कि संस्कारों के साथ समावेशित ज्ञान समाज के लिए कल्याणकारी साबित होता है अन्यथा विनाशकारी। शिक्षा व्यवस्था ऐसी हो जो तन के सुख के लिए धन-धान्य, मन के सुख की खातिर मान-सम्मान और स्वाभिमान, बुद्धि विलास के लिए ज्ञान और आत्मा के सुख के लिए भगवान यानी वैराट्य से साक्षात्कार करा सके। देश को आर्थिक ही नहीं आध्यात्मिक महाशक्ति भी बना सके।

    सियासत में कदम रखने से पहले अध्यापक रहे राजनाथ सिंह मंच पर शिक्षक की भूमिका में नजर आए। साथ मिलकर व सकारात्मक सोच के साथ काम करने से कितनी अतिरिक्त ऊर्जा मिलती है, छात्रों को इसे उन्होंने गणित के युगपात समीकरण के जरिये समझाया। बड़े मन से ही बड़ा सुख प्राप्त होता है, यह बताने के लिए छात्रों को वृत्त का उदाहरण देते हुए कहा कि वृत्त की परिधि बढ़ती जाएगी तो उसका आकार भी बढ़ेगा। छात्रों को घर से निकलने से पहले और वापस आने के बाद माता-पिता और बड़ों के चरण छूने की नसीहत दी। हाय-हैलो से तौबा करने को कहा।

    विश्व के शीर्ष संस्थानों में न होना पीड़ादायक : राम नाईक

    कुलाधिपति की हैसियत से समारोह की अध्यक्षता कर रहे राज्यपाल राम नाईक ने कहा कि देश के लगभग 700 विश्वविद्यालयों और 35000 कॉलेजों में दो करोड़ छात्र पढ़ रहे हैं। उन्हें इस बात की पीड़ा है कि दुनिया के 200 शीर्ष उच्च शिक्षण संस्थानों में भारत का एक भी संस्थान शामिल नहीं है। अनेक विभूतियां देने वाला लखनऊ विश्वविद्यालय दुनिया के शीर्ष 200 संस्थानों में शुमार हो, यह उनकी अभिलाषा और अपेक्षा है।

    स्वतंत्रता के साथ दायित्व बोध भी हो: मुख्य न्यायाधीश

    दीक्षांत समारोह में एलएलडी की मानद उपाधि से अलंकृत होने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ ने कहा कि भारत के नागरिक के रूप में हमें स्वतंत्रता के साथ अपने दायित्वों का भी बोध होना चाहिए। कुछ राष्ट्र इसलिए असफल हुए क्योंकि उनकी आधारभूत संस्थाएं चरमरा गईं। संस्थाएं इसलिए नष्ट हो गईं क्योंकि असहमति को आत्मसात करने की प्रवृत्ति नहीं थी।