दूरसंचार मंत्री ने 10 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन किया रिटायर, जीरो टॉलरेंस नीति के तहत हुई कार्रवाई
केंद्रीय सिविल सेवा पेंशन नियम के तहत जबरन सेवानिवृत्ति दी गई है। इससे पहले सितंबर में सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के वरिष्ठ अधिकारी को वैष्णव की अध्यक्षता में हुई बैठक में झपकी लेते हुए पकड़े जाने पर सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी गई थी।

नई दिल्ली, पीटीआई। मोदी सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति ''जीरो टॉलरेंस'' की नीति है। सरकार का मानना है कि कर्मचारी या तो पूरी निष्ठा के साथ काम करें या अगर काम नहीं कर पा रहे हैं तो पद छोड़ दे ताकि अन्य योग्य अधिकारियों को देश को आगे बढ़ाने में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का अवसर मिल सके। इसी नीति के तहत दूरसंचार मंत्री अश्विनी वैष्णव ने दूरसंचार विभाग के 10 वरिष्ठ अधिकारियों को जबरन सेवानिवृत्ति (रिटायर) देने की मंजूरी दे दी है।

सूत्रों ने शनिवार को बताया कि इनमें से एक मंत्रालय के संयुक्त सचिव जबकि नौ अधिकारी निदेशक स्तर पर काम कर रहे थे। पेंशन के नए नियम यह कदम हर साल सरकार द्वारा मनाए जाने वाले ''सुशासन दिवस'' की पूर्व संध्या से एक दिन पहले लिया गया है। केंद्रीय सिविल सेवा यह पहली बार है जब दूरसंचार विभाग के कर्मचारियों को केंद्रीय सिविल सेवा (सीसीएस)- पेंशन नियम 1972 के नियम 48, धारा 56 (जे) के तहत जबरन सेवानिवृत्ति दी गई है। इससे पहले सितंबर में सरकारी दूरसंचार कंपनी बीएसएनएल के वरिष्ठ अधिकारी को वैष्णव की अध्यक्षता में हुई बैठक में झपकी लेते हुए पकड़े जाने पर सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति दे दी गई थी।
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वैष्णव जिनके पास रेलवे मंत्रालय का प्रभार भी है, ने रेलवे विभाग में लगभग 40 अधिकारियों को पूरी निष्ठा से काम नहीं करने के लिए जबरन रिटायर कर दिया था। इनमें एक सचिव स्तर का अधिकारी और दो विशेष सचिव स्तर के अधिकारी शामिल थे।

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