हेरिटेज गलियों से हाई-टेक हब तक... हैदराबाद को जोड़ रही मेट्रो; अब सरकार का होगा नियंत्रण
तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद मेट्रो का कंट्रोल अपने हाथ में लेने का फैसला किया है। सरकार लार्सन एंड टूब्रो की इक्विटी 2,000 करोड़ रुपये में खरीदेगी और 1 ...और पढ़ें

सरकार ने टेकओवर को मंजूरी दे दी है
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। हैदराबाद एक ऐसा शहर है, जिसमें एक-दूसरे से बिल्कुल विपरीत दो दुनिया देखने को मिलती है। एक हिस्सा शहर की प्राचीन विरासत का है और दूसरा आधुनिक आईटी हब का। इन दोनों दुनिया में रहने वाले लोगों को जोड़ती है शहर की लाइफलाइन यानी हैदराबाद मेट्रो। इसी मेट्रो का कंट्रोल अब तेलंगाना की सरकार ने अपने हाथ में लेने का फैसला किया है।
हैदराबाद मेट्रो का फेज-1 तीन कॉरिडोर में फैला है। 72 किलोमीटर लंबे इस मेट्रो नेटवर्क को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत विकसित किया गया है। इस ऑपरेशनल मेट्रो नेटवर्क का 90 फीसदी हिस्सा लार्सन एंड टूब्रो के पास है, जिसने नुकसान का हवाला देते हुए बाहर निकलने का संकेत दिया था। इसके बाद सरकार ने टेकओवर को मंजूरी दे दी है।
सरकार ने खरीदी इक्विटी
तेलंगाना सरकार ने लार्सन एंड टूब्रो की इक्विटी Rs 2,000 करोड़ में खरीदने का फैसला किया है। इसके अलावा कंपनी का 13,000 करोड़ का बकाया कर्ज भी अपने ऊपर ले लिया है। मेट्रो किसी शहर के पब्लिक ट्रांसपोर्ट नेटवर्क की कितनी अहम कड़ी होती है, इसके लिए भारत सरकार के चीफ इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर डीवीएस राजू की एक टिप्पणी पर नजर डालनी चाहिए।
डीवीएस राजू कहते हैं कि एक किलोमीटर मेट्रो चलाना सात बस लेन या 24 कार लेन बदलने के बराबर है। अधिकारी कहते हैं कि हैदराबाद मेट्रो आसान सर्विस देती है और शहरी ट्रांसपोर्टेशन की जरूरतों को पूरा करती है, लेकिन जैसे-जैसे शहर आगे की ओर बढ़ रहा है, प्राइवेट गाड़ियों पर निर्भरता कम करने की जरूरत है। हैदराबाद में फेज-1 का निर्माण बेसिक नेटवर्क के तौर पर किया गया है, जबकि दूसरा फेज इसकी पहुंच में बढ़ोतरी करने के उद्देश्य से किया जाएग।
तेलंगाना ने 2047 तक $3 ट्रिलियन की इकॉनमी बनने का लक्ष्य रखा है। तेलंगाना राइजिंग फ्रेमवर्क के तहत मेट्रो का विस्तार किया जाएगा। राज्य में रीजनल रिंग रोड, ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे और हैदराबाद को बंदरगाहों और मंगलुरु और राजमुंदरी जैसे शहरों से जोड़ने वाले हाई-स्पीड कॉरिडोर जैसे प्रोजेक्ट पर भी काम होना है। फेज-2 का निर्माण केंद्र की मंजूरी का इंतजार कर रहा है।

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