ढाका हमले पर बोली तस्लीमा, कहा- इस्लाम को शांति का धर्म कहना बंद करें
तस्लीमा नसरीन ने कहा कि इस्लाम को शांति का धर्म कहना बंद करें। इसके साथ ही उन्होंने इस तर्क को भी खारिज किया कि गरीबी किसी को आतंकवादी बना देती है।
नई दिल्ली। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हुए आतंकी हमले पर जानी-मानी बांग्लादेशी लेखिका और निर्वासन झेल रहीं तस्लीमा नसरीन ने कहा कि इस्लाम को शांति का धर्म कहना बंद करें। इसके साथ ही उन्होंने इस तर्क को भी खारिज किया कि गरीबी किसी को आतंकवादी बना देती है।
हमले को अंजाम देने वाले हमलावर पढ़े-लिखे और समृद्ध परिवार से वास्ता रखने वाले थे। कई ट्वीट करते हुए तस्लीमा ने सलीम समद का हवाला देते हुए कहा कि बांग्लादेश का वैश्विक आतंक में एक प्रमुख योगदान रहा है।
For humanity's sake please do not say Islam is a religion of peace. Not anymore.
— taslima nasreen (@taslimanasreen) July 3, 2016
इससे पहले उन्होंने हमलावरों के संबोधन के मुद्दे पर कहा कि उन्हें इस्लामी आतंकी क्यों नहीं कहा जा रहा है। मीडिया उन्हें गनमैन लिख रहा है। लेकिन उन्होंने लोगों को मारने और उनमें दहशत फैलाने से पहले अल्लाहू अकबर का नारा लगाया। क्या उन्हें इस्लामी आतंकी नहीं कहा जाना चाहिए था?।
Nibras Islam the #DhakaAttack terrorist studied at Turkish Hopes school,NorthSouth &Monash university.Then brainwashed w Islam&bcm terrorist
— taslima nasreen (@taslimanasreen) July 3, 2016
All Dhaka terrorists were from rich families, studied in elite schools. Pl do not say poverty & illiteracy make people Islamic terrorists
— taslima nasreen (@taslimanasreen) July 3, 2016
तस्लीमा ने अागे लिखा की ढाका हमले का अातंकी निब्रस इस्लाम तुर्की होप्स स्कूल, नार्थ साउथ अौर मोनाश यूनिवर्सिटी में पढ़ा था। इसके बाद उसका इस्लाम के नाम पर ब्रेन वॉश किया गया अौर वह अातंकी बन गया। ढाका हमले के सभी अातंकी अमीर परिवार से थे अौर सभी ने अच्छे स्कूलों में पढ़ाई की थी। कृपया यह मत कहिए की गरीब अौर निरक्षरता लोगों को इस्लामिक अातंकवादी बनाती है। उन्होंने कहा कि इस्लामिक अातंकवादी बनने के लिए गरीबी निरक्षरता, तनाव , अमेरिकी विदेश नीति अौर इस्त्राइल की साजिश की जरूरत नहीं है। अापको इस्लाम की जरुरत है।
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