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    'असम-बंगाल समेत पूर्वांचल में बदलती डेमोग्राफी टाइम बम की तरह', तमिलनाडु के राज्यपाल ने क्यों कहा ऐसा?

    Updated: Wed, 30 Jul 2025 12:46 PM (IST)

    Tamilnadu Governor RN Ravi तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने कई राज्यों की बदलती डेमोग्राफी को टाइम बम करार दिया है। उन्होंने कहा कि भाषा के नाम पर कड़वाहट फैलाना भारत की परंपरा नहीं है। रवि ने असम और बंगाल जैसे राज्यों में डेमोग्राफी में तेजी से बदलाव पर चिंता जताई और इस मुद्दे का हल खोजने की जरूरत बताई।

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    तमिलनाडु के राज्यपाल आर.एन.रवि का बयान। फाइल फोटो

    डिजिटल डेस्क, गांधीनगर। महाराष्ट्र समेत कई राज्यों में भाषा पर जंग छिड़ी है। तमिलनाडु भी इन्हीं में से एक है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन केंद्र सरकार पर कई बार हिंदी थोपने का आरोप लगा चुके हैं। हालांकि, इसी कड़ी में अब तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने कई राज्यों की बदलती डेमोग्राफी को 'टाइम बम' करार दिया है।

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    तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि ने कहा कि भाषा के नाम पर कड़वाहट फैलाना भारत की परंपरा नहीं है। असम और बंगाल जैसे राज्यों में डेमोग्राफी तेजी से बदल रही है। इसका हल तलाशने की जरूरत है।

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    इतिहास से सीखो सबक: आर एन रवि

    आर एन रवि के अनुसार, "इस देश ने हमेशा बाहरी आक्रमणों का मजबूती के जवाब दिया है। मगर, जब अंदरुनी समस्याओं की बात आती है, तो अतीत में क्या हुआ था? 1947 में आंतरिक लड़ाई के कारण ही देश का बंटवारा हुआ। कुछ विचारधाराओं को मानने वाले लोग आज भी हमारे साथ नहीं रहना चाहते हैं और यही विचारधारा फिर से इस देश को तोड़ देगी।"

    गांधीनगर के राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय (RRU) में छात्रों को संबोधित करते हुए तमिलनाडु के राज्यपाल ने कहा-

    पिछले 30-40 सालों में असम और पश्चिम बंगाल समेत पूर्वांचल (यूपी-बिहार) में डेमोग्राफी तेजी से बदल रही है। क्या किसी को इसकी चिंता है? क्या कोई भविष्यवाणी कर सकता है कि अगले 50 सालों में इन जगहों पर बंटवारे की मुहिम नहीं छिड़ेगी?

    डेमोग्राफी पर जताई चिंता

    पूर्व IPS अधिकारी रहे आर एन रवि का कहना है, "डेमोग्राफी एक संवेदनशील मुद्दा है, जिसपर स्टडी करने की जरूरत है। यह एक टाइम बम की तरह है। हमें सोचना चाहिए कि हम इससे कैसे निपटेंगे? हमें आज से ही इस मुद्दे का हल खोजने की जरूरत है।"

    रूस का दिया उदाहरण

    आर एन रवि के अनुसार, सेना आंतरिक अशांति से लड़ने में सक्षम नहीं है। उन्होंने रूस का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर आंतरिक अशांति को रोकना सेना के हाथ में होता तो 1991 में सोवियत संघ नहीं टूटता।

    भाषा पर क्या कहा?

    महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में भाषा पर तनाव पैदा हो रहा है। आजादी के बाद से ही भाषा की लड़ाई जारी है। मगर, गृह मंत्री अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी पहले ही कह चुके हैं कि भारत की सारी भाषाएं हमारी राष्ट्र भाषा है।

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