'कारगिल युद्ध में देश के लिए लड़ा और अब नागरिकता का सबूत मांग रहे हैं', पुणे में पूर्व सैनिक ने पुलिस पर लगाए आरोप
पुणे में कारगिल युद्ध के एक सेवानिवृत्त सैनिक हकीमुद्दीन शेख के घर पर कुछ लोगों ने पुलिस के साथ धावा बोल दिया और उनसे नागरिकता का प्रमाण दिखाने को कहा। परिवार का कहना है कि ऐसा न करने पर उन्हें बांग्लादेशी या रोहिंग्या घोषित करने की धमकी दी गई। पुलिस का कहना है कि उन्हें इलाके में अवैध प्रवासियों की सूचना मिली थी।

डिजिटल डेस्क, पुणे। कारगिल युद्ध लड़ने वाले रिटायर जवान के घर पर कुछ लोगों ने अचानक धावा बोल दिया। उनके परिवार का दावा है कि शनिवार की देर रात 30-40 लोग पुलिस के साथ घर पर आ धमके और नागरिकता का प्रमाण दिखाने का दबाव बनाने लगे।
पुणे के रहने वाले हकीमुद्दीन शेख सेना के रिटायर सैनिक हैं, जिन्होंने कारगिल युद्ध में पाकिस्तान के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। हालांकि, मंगलवार की रात कुछ लोग उनके घर आए और नागरिकता का सबूत मांगने लगे।
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पुलिस थाने ले गई
हकीमुद्दीन के परिवार का कहना है कि पुणे के चंदन नगर में उनका घर मौजूद है, जहां देर रात 30-40 लोगों की भीड़ लग गई। उनके साथ पुलिस भी मौजूद थी। पुलिस परिवार के पुरुषों को अपने साथ थाने लेकर गई।
परिवार से सदस्य ने बताया-
हमें सुबह 3 बजे तक का समय दिया गया और कहा गया कि अगर हम अपनी नागरिकता का प्रमाण पत्र दिखाने में नाकामयाब रहे तो हमें बांग्लादेशी या रोहिंग्या घोषित कर दिया जाएगा।
पुणे पुलिस ने क्या कहा?
पुणे के डीसीपी सोमय मुंडे के अनुसार, "पुलिस को इलाके में संदिग्ध अवैध प्रवासी होने की सूचना मिली थी। हमारी टीम ने दस्तावेज मांगे। एक बार जब साफ हो गया कि वो भारतीय हैं, हमने उन्हें जाने दिया। पुलिस किसी तीसरे पक्ष के साथ मौके पर नहीं गई थी। हमारे पास इसका वीडियो भी मौजूद है।"
16 साल सेना में रहे
58 साल के हकीमुद्दीन 16 साल तक भारतीय सेना का हिस्सा रहे हैं। 1984 में वो सेना की 269 इंजीनियर रेजिमेंट में शामिल हुए थे। उनका कहना है-
मैंने इस देश के लिए कारगिल में युद्ध लड़ा है। मेरा पूरा परिवार इस देश से ताल्लुक रखता है। हमें यह साबित करने के लिए क्यों कहा जा रहा है?
यूपी के रहने वाले हैं हकीमुद्दीन
हकीमुद्दीन का परिवार मूल रूप से उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ का निवासी है। मगर, 1960 में वो परिवार के साथ महाराष्ट्र के पुणे में शिफ्ट हो गए थे। 2000 में सेना से रिटायर होने के बाद 2013 में हकीमुद्दीन दोबारा प्रतापगढ़ लौट गए, लेकिन उनका परिवार पुणे में ही रहता है।
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