Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बिना राज्यपाल की मंजूरी के कानून बन गए 10 विधेयक, सुप्रीम कोर्ट को क्यों सुनाना पड़ा ऐसा फैसला?

    तमिलनाडु की स्टालिन सरकार और राज्यपाल आरएन रवि के बीच लंबे समय से चले आ रहे गतिरोध पर आखिरकार विराम लग गया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए तमिलनाडु विधानसभा द्वारा पारित 10 विधेयकों को बिना राज्यपाल की मंजूरी के लिए कानून बना दिया है। बता दें कि ये विधेयक विधानसभा से दो बार पारित होने के बाद भी लटके हुए थे।

    By Digital Desk Edited By: Swaraj Srivastava Updated: Sat, 12 Apr 2025 06:09 PM (IST)
    Hero Image
    राज्यपाल आरएन रवि ने विधेयकों को लंबे समय से रोक कर रखा था (फोटो: एएनआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश में पहली बार ऐसा हुआ है कि राज्यपाल या राष्ट्र्पति की मंजूरी के बिना कोई विधेयक कानून बन चुका है। ये ऐतिहासिक घटना सुप्रीम कोर्ट के उस फैसले के बाद हुई, जिसमें तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि द्वारा विधेयकों को मंजूरी न दिए जाने के मामले में सुनवाई हो रही थी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    न्यायमूर्ति एसबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने मामले की सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि इन विधेयकों को उस तारीख से मंजूरी दी गई मानी जाएगी, जिस दिन इसे फिर से पेश किया गया था।

    सुप्रीम कोर्ट ने की थी टिप्पणी

    पीठ ने टिप्पणी की कि राज्यपाल ने विधेयकों को पहली बार में मंजूरी नहीं दी। जब इसे दोबारा भेजा गया, तो अब राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित नहीं किया जा सकता। बता दें कि इसके पहले सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के रवैये पर कटाक्ष करते हुए कहा था कि विधेयकों में मुद्दों को खोजने में उन्हें तीन साल क्यों लगे।

    बता दें कि तमिलनाडु की सरकार और राज्यपाल के बीच गतिरोध लंबे समय से चला आ रहा है। तमिलनाडु की विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को राज्यपाल की मंजूरी नहीं मिल पा रही थी। विधेयकों को लौटाने के बाद इन्हें दोबारा पारित कर राज्यपाल के पास भेजा गया था, फिर भी ये बिल मंजूरी के बिना लटके हुए थे।

    10 विधेयक बन गए कानून

    • इसके बाद तमिलनाडु सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। राज्य सरकार ने राज्यपाल पर जानबूझकर विधेयकों में देरी करने और विकास को बाधित करने का आरोप लगाया था। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 10 विधेयक बिना राज्यपाल या राष्ट्रपति की मंजूरी के कानून बन गए है।
    • इन विधेयकों में राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की नियुक्ति पर संशोधित नियम शामिल हैं। स्टालिन सरकार ने इसे भारतीय राज्यों के लिए एक बड़ी जीत बताते हुए अदालत का धन्यवाद दिया है।

    यह भी पढ़ें: अरविंद केजरीवाल, भूपेंद्र बघेल और चंद्रशेखर राव की गई कुर्सी... क्या सीएम स्टालिन पर भी भारी पड़ेगा शराब घोटाला?