तहव्वुर राणा और हेडली बहुत करीब थे, दोनों को थी पूरे हमले की जानकारी: पूर्व गृह सचिव
पूर्व गृह सचिव गोपाल कृष्ण पिल्लई ने बताया कि तहव्वुर राणा ने भारत में ऑफिस खोलकर डेविड हेडली को वीजा दिलवाया। राणा और हेडली के बीच गहरा संबंध था जिससे 26/11 की साजिश को अंजाम मिला। पूर्व मंत्री आरके सिंह ने राणा के प्रत्यर्पण को बड़ा संदेश बताया और पाकिस्तान की डीप स्टेट की भूमिका उजागर की। 26/11 के समय एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल पाकिस्तान में मुर्री में रुका था।

पीटीआई, नई दिल्ली। पूर्व गृह सचिव गोपाल कृष्ण पिल्लई ने गुरुवार को कहा कि मुंबई आतंकी हमलों के आरोपित तहव्वुर हुसैन राणा वह व्यक्ति था जिसने मुंबई में (अपनी फर्म का) आव्रजन कार्यालय स्थापित किया था, जिसमें डेविड हेडली को काम दिया गया और फिर उसे भारत आने का वीजा मिला। राणा और हेडली बहुत करीब थे और उन्हें घटनाक्रम की जानकारी थी। इसलिए अब उससे पूछताछ में यह बात सामने आएगी और हेडली ने उसे क्या बताया था। उन्होंने कहा कि राणा को निश्चित रूप से दोषी ठहराया जाएगा। संभवत: उसे मृत्युदंड या 10 वर्ष या उससे अधिक की सजा मिलेगी।
हेडली ने किया था रेकी
पिल्लई ने 26/11 आतंकी हमलों के सिर्फ छह महीने बाद गृह सचिव का पद संभाला था। पिल्लई ने बताया कि राणा ने ताज होटल और अन्य स्थानों का सर्वेक्षण नहीं किया था, जहां आतंकी आए थे। यह सब डेविड हेडली ने किया था। फिर वह पाकिस्तान गया और सारी जानकारी (पाकिस्तान में आतंकियों से) साझा की।
आतंकी हमलों में पाकिस्तान की भूमिका के बारे में उन्होंने कहा कि एनआईए जांच में इस संबंध की पुष्टि हो चुकी है। हमारे पास पाकिस्तान में मौजूद अन्य आरोपितों की जानकारी भी हैं जिनके खिलाफ वारंट जारी किए गए हैं, लेकिन पाकिस्तान ने उन पर अमल नहीं किया। पाकिस्तान के कुछ सहयोग से शुरू में यह संबंध बहुत स्पष्ट रूप से स्थापित हो गया था। लेकिन इसके बाद पाकिस्तान पूरी जांच में बाधा डालता रहा। उसने न तो उन पर (आरोपितों पर) पाकिस्तान में मुकदमा चलाया और न ही उन्हें भारत में मुकदमे चलाने के लिए सौंपा।
एक अन्य पूर्व गृह सचिव एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने कहा कि राणा का प्रत्यर्पण अन्य आतंकियों के लिए एक संदेश है कि यदि आप किसी देश पर हमला करते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि आप किसी अन्य देश में रह सकते हैं। आतंकियों तक यह संदेश पहुंचना महत्वपूर्ण है।
पाकिस्तान के डीप स्टेट में रची गई थी साजिश
आरके सिंह ने कहा कि राणा की गवाही से हमें और अधिक जानकारी मिल सकती है, जिससे हम और अधिक लोगों को पकड़ सकेंगे या उन लोगों की पहचान कर सकेंगे जो पाकिस्तान में हैं। इस हमले की पूरी साजिश पाकिस्तान में उसके 'डीप स्टेट' ने रची थी। 'डीप स्टेट' का मतलब है सेना, आइएसआइ (पाकिस्तानी जासूसी एजेंसी) आदि। इन सभी ने साजिश रची, लोगों को प्रशिक्षित किया और उन्हें हथियार दिए।
सिंह ने कहा, 'जब हमला हो रहा था, तब उन्होंने वहीं से निर्देश दिए। वहां से मिनट-दर-मिनट निर्देश आते थे। हम जानते हैं कि ये सब कौन कर रहे थे? वे लश्कर-ए-तैयबा के लोग थे।' सिंह ने कहा कि देश को एक अन्य मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है कि राणा और हेडली को हर बार भारत आने के लिए वीजा कैसे मिला।
हमले के वक्त द्विपक्षीय वार्ता के लिए इस्लामाबाद में थे तत्कालीन गृह सचिव
मुंबई में 26/11 आतंकी हमलों के वक्त तत्कालीन केंद्रीय गृह सचिव मधुकर गुप्ता के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधिमंडल आतंकवाद सहित विभिन्न मुद्दों पर द्विपक्षीय वार्ता के लिए इस्लामाबाद में था। उस वक्त उसे 'समग्र वार्ता' का नाम दिया गया था। 26 नवंबर को वार्ता पूरी हो जाने के बाद परंपरा के तहत भारतीय प्रतिनिधिमंडल को शिष्टाचार भेंट के लिए पाकिस्तान के गृह मंत्री से मिलना था।
सूत्रों ने बताया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल को बताया गया कि गृह मंत्री यात्रा पर होने के कारण उपलब्ध नहीं हैं और वह अगले दिन यानी 27 नवंबर को उनसे मिल सकते हैं। इसलिए टीम वहीं रुक गई। उसी दिन भारतीय प्रतिनिधिमंडल को इस्लामाबाद के निकट खूबसूरत पर्वतीय क्षेत्र मुर्री ले जाया गया। जब आतंकी हमलों की खबर आई, तब मधुकर गुप्ता मुर्री से दिल्ली में वरिष्ठ नेतृत्व के साथ नियमित संपर्क में थे।
प्रतिनिधिमंडल में गृह मंत्रालय के एक अतिरिक्त सचिव, एक संयुक्त सचिव और कुछ अन्य अधिकारी भी शामिल थे। टीम ने अगले दिन भारत लौटने से पहले वह दुर्भाग्यपूर्ण रात मुर्री में बिताई। उस समय ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि पाकिस्तान ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल को धोखा देकर उनका प्रवास एक दिन बढ़ा दिया होगा।
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