अमेरिका-चीन को सबक सिखाने की तैयारी, 100 सामानों के आयात पर लगेगी रोक; सरकार का क्या है प्लान?
वैश्विक चुनौतियों और अमेरिका की व्यापार नीतियों के बीच भारत का स्वदेशी अभियान गति पकड़ रहा है। प्रधानमंत्री मोदी की अपील के बाद मंत्रालय स्वदेशी वस्तुओं की पहचान में जुटे हैं। वाणिज्य मंत्रालय 100 आयातित आइटमों की पहचान कर रहा है जिन्हें रोका जा सकता है। घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए कच्चे माल के विकल्प तलाशे जा रहे हैं।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। वैश्विक उथल-पुथल और दुनिया के 50 से अधिक देशों के साथ व्यापार शुल्क में अमेरिका की बदलती नीति ने भारत के स्वदेशी अभियान को गति दे दी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की तरफ से स्वदेशी वस्तुओं को अपनाने की अपील के बाद विभिन्न मंत्रालय उन वस्तुओं की पहचान करने में जुट गया है जिन्हें भारत में ही बनाया जा सकता है।
वाणिज्य मंत्रालय पहले से ही ऐसे 100 आइटम की पहचान कर रहा है जिनके आयात को रोका जा सकता है। उन कच्चे माल की भी पहचान की जा रही है जिनका भारत घरेलू स्तर पर विकल्प तैयार कर सकता है। मंत्रालय का मानना है कि यह एक शुरुआत है और इसमें सफलता मिलने पर इस प्रकार का बड़ा अभियान चलाया जा सकता है।
भारत का आयात हमेशा निर्यात से अधिक
भारत का आयात हमेशा निर्यात से अधिक रहता है और इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर फार्मा तक में विभिन्न प्रकार के कच्चे माल के लिए भारत आयात पर ही निर्भर करता है। आयात होने वाली सैकड़ों वस्तुओं पर भी गुणवत्ता नियम को लागू करके भी उनके आयात को कम या रोकने का प्रयास है ताकि उन वस्तुओं का घरेलू स्तर पर उत्पादन बढ़ सके। छोटे-छोटे आइटम के आयात पर रोक लगाकर घरेलू स्तर पर उनके उत्पादन को बढ़ाने से छोटे उद्यमियों को बढ़ावा मिलेगा।
मैन्यूफैक्चरिंग मिशन के तहत छोटे उद्यमियों को आयात होने वाले आइटम का उत्पादन शुरू करने के लिए मदद दी जा सकती है। व्यापार जगत के जानकारों के मुताबिक पिछले दो-तीन साल में दुनिया भर में विभिन्न प्रकार की व्यापारिक नीति में बदलाव होने से 800 अरब डॉलर से अधिक के वैश्विक व्यापार पर किसी न किसी रूप में पाबंदी लगी है।
स्वदेशी अभियान पर फोकस बढ़ा
अमेरिका ने भारत के निर्यात पर 50 प्रतिशत का शुल्क लगा दिया तो चीन ने रेयर अर्थ मैगनेट की भारत में होने वाली सप्लाई पर रोक लगा दी थी। व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसे समय में भारत को अपनी खपत पैटर्न में बदलाव के साथ अधिक से अधिक वस्तुओं के निर्माण व उनकी सप्लाई चेन सुदृढ़ करने के लिए मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ाना होगा।
इन्हें ध्यान में रखते हुए ही सभी मंत्रालयों को स्वदेशी अभियान पर फोकस बढ़ाने और आयात पर निर्भरता को कम करने में सहयोग के लिए कहा गया है। रेयर अर्थ मिनरल्स के उत्पादन को बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता दी जा रही है। मंगलवार को वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने भी औद्योगिक संगठन सीआईआई के कार्यक्रम में कहा कि भारत का फोकस आत्मनिर्भरता पर है ताकि सप्लाई चेन को सुरक्षित बनाया जा सके।
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