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    सेरोगेसी के लिए कितनी होनी चाहिए Age? 11 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा फैसला

    Updated: Tue, 07 Jan 2025 10:00 PM (IST)

    सेरोगेसी कानून में मां और अन्य के लिए तय उम्र सीमा पर विचार करने के लिए राजी हो गया है। इस मामले में शीर्ष न्यायालय 11 फरवरी को विचार करेगा। इस कानून से जुड़ीं एक दर्जन से अधिक याचिकाएं कोर्ट में लंबित हैं जिनमें उम्र सीमा से संबंधित प्रविधानों को चुनौती दी गई है। शीर्ष न्यायालय ने केंद्र सरकार से कहा कि वह मामले में लिखित दलीलें दाखिल करे।

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    सेरोगेसी कानून में उम्र की सीमा पर सुप्रीम कोर्ट करेगा विचार। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट सेरोगेसी कानून में मां और अन्य के लिए तय उम्र सीमा के मुद्दे पर विचार को राजी हो गया है। इस मामले में शीर्श कोर्ट 11 फरवरी को विचार करेगा। सुप्रीम कोर्ट में एक दर्जन से ज्यादा याचिकाएं लंबित हैं जिनमें उम्र सीमा से संबंधित प्रविधानों व अन्य उपबंधों को चुनौती दी गई है।

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    दरअसल, 2021 में लाए गए सरोगेसी कानून में इसके जरिए माता पिता बनने की चाहत रखने वालों और सेरोगेट मां के लिए उम्र सीमा तय है। कानून के मुताबिक मां बनने की चाहत रखने वाली महिला की उम्र 23 से 50 वर्ष और पिता बनने की चाहत रखने वाले पुरुष की आयु 26 से 55 वर्ष की होनी चाहिए।

    इसके अलावा सेरोगेट मां विवाहित होनी चाहिए और उसकी आयु 25 से 35 वर्ष होनी चाहिए। उसका अपना एक बच्चा भी होना चाहिए और वह जीवन में एक ही बार सेरोगेट मां बन सकती है। कानून में सेरोगेसी को नियंत्रित और नियमित करने की शर्तें भी हैं।

    केंद्र से मांगी लिखित दलीलें

    मंगलवार को सेरोगेसी कानून से संबंधित याचिकाएं न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना और सतीष चंद्र शर्मा की पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगीं थीं। पीठ ने केंद्र सरकार से कहा कि वह मामले में लिखित दलीलें दाखिल करें। केंद्र सरकार की ओर से पेश एडीशनल सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि केंद्र लिखित दलीलें दाखिल करेगा और कोर्ट के निर्देशों का पालन करेगा।

    पीठ ने सुनवाई के दौरान मामले में अंतरिम आदेश की जरूरत पर भी बल दिया। कोर्ट ने सेरोगेट मां के हित संरक्षित करने पर जोर देते हुए कहा कि शोषण रोकने के लिए एक मजबूत तंत्र होना चाहिए। खास कर यह ध्यान रखते हुए कि भारत में व्यवसायिक सेरोगेसी पर रोक है।

    सेरोगेट महिलाओं का डाटाबेस किया जाए तैयार

    कोर्ट ने कहा कि एक डेटाबेस हो सकता है ताकि एक ही महिला का शोषण न हो। एक सिस्टम होना चाहिए। कोई यह नहीं कह रहा कि यह विचार बुरा है लेकिन इसका गलत इस्तेमाल हो सकता है। पीठ ने सेरोगेट मां को मुआवजे के बारे में एक वैकल्पिक तंत्र विकसित किए जाने पर भी चर्चा की।

    बता दें कि कोर्ट का सुझाव था कि माता-पिता बनने की चाहत रखने वाले सेरोगेट मां को पैसे बांटे इसके बजाए एक डिजिग्नेटेड अथारिटी होनी चाहिए। सीधे सेरोगेट मां को पैसे देने की जरूरत नहीं है वह रकम जमा करा दें और विभाग रकम दे। ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि कानून सिर्फ परोपकार के लिए सेरोगेसी की इजाजत देता है कानून में व्यवसायिक उपयोग के लिए सैरोगेसी की मनाही है।

    भाटी ने आगे कहा कि सरकार कोर्ट के सुझावों पर विचार करेगी। याचिकाकर्ता का कहना था कि परोपकार के लिए सेरोगेसी अच्छी बात है लेकिन कानून में सेरोगेट माताओं के लिए पर्याप्त मुआवजा तंत्र की कमी ने चुनौतियां पेश की हैं। मौजूदा प्रविधान सिर्फ चिकित्सा खर्च और बीमा को कवर करते हैं जो कि अपर्याप्त हैं। इस मामले में चेन्नई के डाक्टर अरुण मुथवेल मुख्य याचिकाकर्ता हैं।

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