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    सरकारी दफ्तरों में कुत्तों को ऐसे खिलाया जाएगा खाना, सुप्रीम कोर्ट जारी करेगा दिशानिर्देश 

    Updated: Mon, 03 Nov 2025 11:30 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट सरकारी दफ्तरों में कुत्तों को खाना खिलाने के लिए दिशानिर्देश जारी करेगा। तेलंगाना और बंगाल को छोड़कर सभी राज्यों ने हलफनामे दाखिल किए। कोर्ट कुत्ता काटने के पीड़ितों का पक्ष भी सुनेगा। सुप्रीम कोर्ट ने न्यायमित्र गौरव अग्रवाल से हलफनामों का चार्ट तैयार करने को कहा है। मुख्य सचिवों को अगली पेशी से छूट मिली, पर चूक होने पर फिर पेश होने का आदेश दिया जा सकता है।

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    आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई। (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट सरकारी दफ्तरों और संस्थानों में कुत्तों को खाना खिलाने पर जल्द ही दिना-निर्देश जारी करेगा। शीर्ष अदालत ने सोमवार को इसके संकेत दिए। सात नवंबर को फिर सुनवाई होगी और उसी दिन आदेश जारी हो सकते हैं।

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    इसके अलावा तेलंगाना और बंगाल को छोड़कर बाकी सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों ने कोर्ट के आदेश के अनुपालन में हलफनामे दाखिल किए और देरी के लिए माफी मांगी। कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए इन सभी राज्यों के मुख्य सचिव सोमवार को कोर्ट में पेश हुए। इस मामले में कोर्ट कुत्ता काटने के पीड़ितों का पक्ष भी सुनेगा।

    स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट आवारा कुत्तों की समस्या पर स्वत: संज्ञान लेकर सुनवाई कर रहा है। केंद्र और कुछ राज्य सरकारों की ओर से पेश सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जस्टिस विक्रमनाथ, संदीप मेहता और एनवी अंजारिया की पीठ से आग्रह किया कि इस मामले में पीड़ितों को भी पक्ष रखने का मौका दिया जाए।

    पीठ ने अनुरोध स्वीकार करते हुए पीड़ितों की हस्तक्षेप अर्जियों को स्वीकार कर लिया। कहा कि पीड़ितों को अर्जी दाखिल करने के लिए कोई राशि जमा कराने की जरूरत नहीं है। जबकि पूर्व के आदेश में कोर्ट ने कुत्ता प्रेमियों को व्यक्तिगत तौर पर अर्जी दाखिल करने पर 25,000 और एनजीओ को हस्तक्षेप अर्जी दाखिल करने पर दो लाख रुपये रजिस्ट्री में जमा कराने का आदेश दिया था। कहा था कि पैसा जमा कराने पर ही उनकी अर्जियों पर सुनवाई होगी। कोर्ट ने मामले में भारतीय पशु कल्याण बोर्ड को भी पक्षकार बना लिया है।

    न्यायमित्र को हलफनामों की समरी तैयार करने का निर्देश

    सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को न्यायमित्र एवं वरिष्ठ वकील गौरव अग्रवाल से कहा कि वह मामले में सभी राज्यों के हलफनामों का एक चार्ट और समरी तैयार करके कोर्ट को दें। कोर्ट के आदेश पर राज्यों ने एबीसी नियमों के अनुपालन और कुत्तों की नसबंदी व टीकाकरण के उपलब्ध ढांचागत संसाधनों के बारे में हलफनामा दाखिल किया है।

    जस्टिस विक्रमनाथ, संदीप मेहता और एनवी अंजारिया की पीठ के समक्ष एक वकील ने आग्रह किया कि कोर्ट आदेश पारित करने से पहले उनकी बात सुने, लेकिन कोर्ट ने साफ मना करते हुए कहा कि संस्थागत मामलों के लिए वह कोई दलील नहीं सुनेगा। तभी एक अन्य वकील ने पीठ से कहा कि एमसीडी ने कुत्तों को खाना खिलाने की जगह के बारे में जो कहा है, उस पर उनका पक्ष सुना जाए तो पीठ ने कहा कि अगली सुनवाई पर इस पर विचार होगा।

    पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने सिर्फ दो राज्यों तेलंगाना व बंगाल तथा दिल्ली एमसीडी को छोड़कर किसी राज्य द्वारा अनुपालन हलफनामा दाखिल नहीं किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई थी और सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को सोमवार को कोर्ट में पेश होकर अनुपालन हलफनामा दाखिल नहीं करने का स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया था।

    सोमवार को कोर्ट ने सभी मुख्य सचिवों को अगली तिथि पर निजी पेशी से छूट दे दी, लेकिन चेतावनी दी कि भविष्य में चूक होने पर फिर पेश होने का आदेश दिया जा सकता है।

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