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    तो रुक जाएगी यमन में भारतीय नर्स की फांसी की सजा! सुप्रीम कोर्ट में वकील ने बताया 'Blood Money' वाला तरीका

    Updated: Thu, 10 Jul 2025 02:07 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने यमन में फांसी की सजा पाए केरल की नर्स निमिषा प्रिया के मामले की सुनवाई के लिए सहमति जताई है। निमिषा पर अपने यमनी बिजनेस पार्टनर की हत्या का आरोप है। याचिका में भारत सरकार से कूटनीतिक रास्तों का इस्तेमाल कर निमिषा की जान बचाने की मांग की गई है। कोर्ट इस मामले की सुनवाई 14 जुलाई को करेगा।

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    सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह याचिका की सुनवाई 14 जुलाई को करेगी।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने केरल की एक नर्स निमिषा प्रिया मामले में सुनवाई के लिए राजी हो गई है। निमिषा को यमन में फांसी की सजा सुनाई गई है। इसकी तारीख 16 जुलाई बताई जा रही है। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह याचिका की सुनवाई 14 जुलाई को करेगी।

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    याचिका में मांग की गई है कि भारत सरकार कूटनीतिक रास्तों का इस्तेमाल कर निमिषा की जान बचाए। निमिषा प्रिया केरल के पलक्कड़ जिले की रहने वाली हैं।

    उनपर 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर की हत्या का आरोप लगा था। साल 2020 में उन्हें मौत की सजा सुनाई गई और 2023 में उनकी आखिरी अपील भी खारिज हो गई। अब वह यमन की राजधानी सना की जेल में बंद हैं।

    शरिया कानून के तहत 'ब्लड मनी' का रास्ता

    याचिका में वकील सुभाष चंद्रन केआर ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि शरिया कानून के मुताबिक, मृतक के परिवार को 'ब्लड मनी' देकर निमिषा को माफी दिलाने का रास्ता खोजा जा सकता है। अगर मृतक का परिवार इस पैसे को स्वीकार कर लें तो निमिषा की सजा माफ हो सकती है। वकील ने जोर देकर कहा कि इसके लिए जल्द से जल्द कूटनीतिक कदम उठाने की जरूरत है।

    कोर्ट ने इस मामले में अटॉर्नी जनरल की मदद मांगी है और याचिकाकर्ता को निर्देश दिया है कि वह याचिका की कॉपी अटॉर्नी जनरल को सौंपे। इस मामले को 'सेव निमिषा प्रिया –इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल' नामक संगठन ने उठाया है। ये संगठन निमिषा को कानूनी मदद देने की कोशिश कर रहा है।

    16 जुलाई को दे दी जाएगी फांसी?

    मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से याचिका में कहा गया है कि यमन प्रशासन ने निमिषा की फांसी की तारीख 16 जुलाई तय की है। यह संगठन और निमिषा का परिवार भारत सरकार से उम्मीद लगाए बैठा है कि वह यमन सरकार से बातचीत कर इस सजा को रुकवाए। 38 साल की निमिषा की जिंदगी अब भारत सरकार के कूटनीतिक प्रयासों और सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर टिकी है।

    (पीटीआई इनपुट्स के साथ)

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