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Triple Talaq: तलाक नोटिस के खिलाफ मुस्लिम महिला की याचिका पर आज होगी सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को तीन तलाक के एक मामले में सुनवाई करने जा रहा है। महिला ने याचिका में तलाक नोटिस रद करने और पति के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग की है।

By Neel RajputEdited By: Published: Fri, 17 May 2019 09:32 AM (IST)Updated: Fri, 17 May 2019 09:53 AM (IST)
Triple Talaq: तलाक नोटिस के खिलाफ मुस्लिम महिला की याचिका पर आज होगी सुनवाई
Triple Talaq: तलाक नोटिस के खिलाफ मुस्लिम महिला की याचिका पर आज होगी सुनवाई

नई दिल्‍ली, जेएनएन। तीन तलाक के एक मामले में सुप्रीम कोर्ट आज को सुनवाई करेगा। महिला ने अपने पति पर गैरकानूनी तरीके से उसे तलाक देने का आरोप लगाया है। महिला ने तलाक नोटिस रद करने और पति के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग की है। महिला ने पति और ससुराल वालों पर प्रताडि़त करने का भी आरोप लगाया है।

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सुप्रीम कोर्ट याचिका पर आज को सुनवाई करेगा। गुरुवार को महिला के वकील एमएम कश्यप ने न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी व संजीव खन्ना की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष याचिका का जिक्र करते हुए मामले पर शीघ्र सुनवाई की मांग की। कश्यप ने कहा कि शादी के नौ वर्ष बाद पति ने महिला को तलाक के दो नोटिस मार्च और मई में भेजे हैं। उन्होंने कहा कि महिला की मुस्लिम रीति-रिवाज से 2009 में शादी हुई थी, उसके दो बच्चे हैं एक लड़का और एक लड़की।

पीठ ने पूछा कि इस बारे में हाईकोर्ट में याचिका क्यों नहीं दाखिल की। वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का 17 अगस्त 2017 का फैसला है जिसमें कहा गया है कि तीन तलाक असंवैधानिक है। ऐसे में महिला के पति की ओर से दिया गया तलाक नोटिस कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। बाद में कोर्ट ने मामले पर शुक्रवार को सुनवाई करने को राजी हो गया। दिल्ली की रहने वाली महिला ने याचिका में कहा है कि उसकी शादी 22 फरवरी 2009 को हुई थी।

उसके दो बच्चे हैं नौ वर्ष का बेटा और छह वर्ष की बेटी। उसने आरोप लगाया है कि उसके पति व ससुराल वालों ने शादी के बाद से ही दहेज तथा कार के लिए सताना शुरू कर दिया था। कहा है कि उसके पति ने तलाक का पहला नोटिस 25 मार्च को भेजा था और दूसरा नोटिस गत 7 मई को भेजा है।

पीडि़ता का कहना है कि गत 12 जनवरी को लागू हुआ मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश उसके हक में है। महिला ने इस अध्यादेश के तहत पति के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिये जाने की मांग की है। साथ ही कोर्ट से तलाक नोटिसों को शून्य घोषित करने की भी मांग की है। 

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