Bihar SIR: चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट में आज होगी सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग के फैसले का विरोध किया है। अदालत चुनाव आयोग के उस नोट पर विचार करेगी जिसमें कहा गया है कि मसौदा मतदाता सूची में शामिल 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.5 प्रतिशत ने एसआईआर प्रक्रिया के दौरान अपनी पात्रता के दस्तावेज दाखिल किए थे।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट सोमवार को उन याचिकाओं पर सुनवाई करेगा जिनमें चुनाव आयोग के 24 जून को चुनावी राज्य बिहार में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के फैसले को चुनौती दी गई है। इनमें राजनीतिक दलों की याचिकाएं भी शामिल हैं।
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जोयमाल्या बागची की पीठ चुनाव आयोग के उस नोट पर राष्ट्रीय जनता दल (राजद), एआइएमआइएम जैसे राजनीतिक दलों और अन्य याचिकाकर्ताओं के जवाब पर विचार करेगी जिसमें आयोग ने दलील दी है कि मसौदा मतदाता सूची में शामिल 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.5 प्रतिशत ने एसआइआर प्रक्रिया के दौरान अपनी पात्रता के दस्तावेज दाखिल किए थे।
कब किया जाएगा विचार?
सुप्रीम कोर्ट 22 अगस्त से एनजीओ, सामाजिक-राजनीतिक कार्यकर्ताओं और राजनीतिक दलों द्वारा दायर अपीलों सहित कई याचिकाओं पर सुनवाई फिर से शुरू करेगा। उस दिन कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया था कि वह बिहार में एसआइआर प्रक्रिया में मसौदा मतदाता सूची से बाहर किए गए मतदाताओं को भौतिक माध्यम के अलावा ऑनलाइन मोड के माध्यम से भी अपने दावे प्रस्तुत करने की अनुमति दे।
उल्लेखनीय है कि समय सीमा बढ़ाने के लिए राजनीतिक दलों द्वारा दायर कुछ आवेदनों पर सुनवाई करने के दौरान एक सितंबर को चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि एसआइआर प्रक्रिया के तहत बिहार में तैयार किए गए मसौदा मतदाता सूची में दावे, आपत्तियां और सुधार एक सितंबर के बाद भी दायर किए जा सकते हैं, लेकिन मतदाता सूची को अंतिम रूप देने के बाद ही इन पर विचार किया जाएगा।
क्या दिया था निर्देश?
आयोग ने यह भी कहा था कि मसौदा मतदाता सूची में दावे और आपत्तियां प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि तक दायर की जा सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार एसआइआर को लेकर भ्रम की स्थिति को 'काफी हद तक विश्वास का मुद्दा' बताया था और राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को निर्देश दिया था कि वह एक अगस्त को प्रकाशित मसौदा मतदाता सूची में दावे और आपत्तियां दायर करने में मतदाताओं और राजनीतिक दलों की सहायता के लिए पैरा-लीगल वोलिंटियर्स को तैनात करे।
चुनाव आयोग ने एसआइआर अनुसूची के अनुसार दावे और आपत्तियां दायर करने की एक सितंबर की समय सीमा को बढ़ाने का विरोध किया था। उसने दलील दी थी कि सुप्रीम कोर्ट के 22 अगस्त के आदेश के बाद 30 अगस्त तक, सूची में नाम जोड़ने के लिए केवल 22,723 दावे दायर किए गए थे और नाम हटाने के लिए 1,34,738 आपत्तियां दायर की गई थीं।
30 सितंबर को जारी होगी सूची
बिहार में एसआइआर के लिए चुनाव आयोग के 24 जून की अनुसूची के अनुसार, मसौदा मतदाता सूची पर दावे और आपत्तियां दर्ज करने की समय सीमा एक सितंबर को समाप्त हो गई है और अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों से चुनाव आयोग के नोट के जवाब में अपने जवाब प्रस्तुत करने को कहा था।
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