Move to Jagran APP

यूक्रेन से लौटे मेडिकल छात्रों की मदद के लिए वेब पोर्टल बनाने का सुप्रीम कोर्ट का सुझाव, सरकार दे चुकी है जवाब

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को यूक्रेन से लौटे मेडिकल के छात्रों की याचिकाओं पर सुनवाई की। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि वह छात्रों की मदद के लिए वह एक वेब पोर्टल बनाए जिस पर विदेशी कालेजों और विश्वविद्यालयों में प्रवेश का ब्योरा दर्ज हो...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 16 Sep 2022 11:06 PM (IST)Updated: Fri, 16 Sep 2022 11:08 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने सुझाव दिया कि यूक्रेन से लौटे मेडिकल के छात्रों की मदद के लिए केंद्र वेब पोर्टल बनाए।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि युद्धग्रस्त यूक्रेन से लौटे मेडिकल के छात्रों की मदद के लिए वह एक वेब पोर्टल बनाए जिस पर विदेशी कालेजों और विश्वविद्यालयों में प्रवेश का सारा ब्योरा डाला जाए। कोर्ट ने कहा कि एक पारदर्शी तंत्र होना चाहिए। वेब पोर्टल में वैकल्पिक विदेशी विश्वविद्यालयों जहां से छात्र अपना कोर्स पूरा कर सकते हैं वहां की उपलब्ध सीटों और फीस आदि का पूरा ब्योरा होना चाहिए।

loksabha election banner

छात्रों ने लगाई है यह गुहार 

केंद्र सरकार को ये सुझाव न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की पीठ ने यूक्रेन से लौटे मेडिकल के छात्रों की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान दिये। छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर केंन्द्र सरकार को उनका अधूरा छूटा कोर्स पूरा करने के लिए भारत के मेडिकल कालेजों में प्रवेश देने का निर्देश मांगा है।

निर्देश लेने के लिए कुछ समय दिया जाए

याचिकाकर्ताओं का कहना है कि करीब 20000 मेडिकल के छात्र युद्ध के कारण अधूरी पढ़ाई छोड़ कर भारत लौटे हैं। कोर्ट के शुक्रवार के सुझाव पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सालिसटिर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह इस मामले में कोई प्रतिकूल स्टैंड नहीं ले रहें हैं लेकिन उन्हें कोर्ट के इस सुझाव पर सरकार से निर्देश लेने के लिए कुछ समय दिया जाए।

भारत इतने छात्रों को अपने यहां समायोजित नहीं कर सकता

सुप्रीम कोर्ट ने मामले को आगे सुनवाई के लिए 23 सितंबर को लगाने का निर्देश दिया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान मौखिक रूप से कहा कि अगर भारत इतने छात्रों को अपने यहां समायोजित नही कर सकता तो सरकार इन छात्रों को विदेशी विश्वविद्यालयों में अपना कोर्स पूरा करने के लिए अपने संसाधनों का इस्तेमाल करके मदद कर सकती है।

केंद्र सरकार ने दी है यह दलील 

केंद्र सरकार ने गत गुरुवार को इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा था कि यूक्रेन से लौटे मेडिकल के छात्रों को भारतीय मेडिकल कालेजों में समायोजित नहीं किया जा सकता। यह भी कहा था कि अगर कोई छूट दी गई तो इससे देश की मेडिकल शिक्षा के मानकों पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा।

छात्रों को समायोजित करने का प्राविधान नहीं

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से दाखिल किये गए हलफनामे में कहा गया था कि जहां तक ऐसे छात्रों का संबंध है तो किसी भी विदेशी चिकित्सा संस्थानों या कालेजों से भारतीय मेडिकल कालेजों या या विश्वविद्यालयों में मेडिकल के छात्रों को समायोजित करने का कानून और नियम में प्राविधान नहीं है।

दो कारणों से गए थे विदेश 

सरकार ने कहा था कि अभी तक एनएमसी द्वारा द्वारा विदेशी मेडिकल छात्रों को किसी भी भारतीय चिकित्सा संस्थान या विश्वविद्यालय में समायोजित करने की अनुमति नहीं दी गई है। सरकार का कहना है कि पीडि़त छात्र दो कारणों से विदेश गए थे पहला - राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (नीट) में खराब मेरिट और दूसरा - विदेश में किफायती मेडिकल शिक्षा।

...तो दाखिल हो जाएंगी कई याचिकाएं

सरकार ने हलफनामे में कहा था कि अगर खराब मेरिट वाले छात्रों को देश के प्रतिष्ठित मेडिकल कालेजों में प्रवेश की अनुमति दी गई तो ऐसे कई अभ्यार्थियों की याचिकाएं दाखिल हो जाएंगी, जिन्हें या तो कम प्रतिष्ठित मेडिकल कालेजों में प्रवेश लेना पड़ा या प्रवेश ही नहीं मिल सका। किफायती मेडिकल शिक्षा के आधार पर विदेश जाने वाले छात्रों को अगर देश के निजी मेडिकल कालेज आवंटित कर दिये गए तो वे संबंधित कालेजों की फीस का बोझ सहन नहीं कर सकेंगे।  

यूक्रेन से लौटे छात्रों को प्रवेश देने से मेडिकल शिक्षा पर पड़ेगा प्रभाव केंद्र ने दाखिल किया हलफनामा

EWS Quota को गलत बता रहे याचिकाकर्ताओं से सुप्रीम कोर्ट का सवाल, कोटा संविधान के विपरीत कैसे


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.