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    'शादी का झांसा देकर रेप का सवाल ही नहीं', शादीशुदा महिला को सुप्रीम कोर्ट से झटका; जानिए पूरा मामला

    Updated: Sun, 01 Jun 2025 04:33 PM (IST)

    Supreme Court सुप्रीम कोर्ट ने एक 25 वर्षीय छात्र के खिलाफ बलात्कार का मामला खारिज कर दिया क्योंकि महिला का आरोपी के साथ विवाहेतर संबंध था और उसने अपने पति से तलाक नहीं लिया था। कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को भी खारिज कर दिया जिसमें एफआईआर रद्द करने की अपील की गई थी।

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    अदालत ने कहा कि संबंधों के दौरान महिला ने अपने पति से तलाक नहीं लिया था (फोटो: पीटीआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। देश की शीर्ष अदालत ने 25 वर्षीय छात्र के खिलाफ रेप के मामले को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि जिस महिला ने आरोप लगाए हैं, उसका आरोपी के साथ एक्स्ट्रामैरिटल अफेयर था। अदालत ने कहा कि संबंधों के दौरान महिला ने अपने पति से तलाक नहीं लिया था।

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    इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट का वह आदेश खारिज कर दिया, जिसमें आरोपी ने अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर रद करने की अपील की थी और हाईकोर्ट ने उसे खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा कि इसमें शादी का झांसा देकर बलात्कार का मामला नहीं बनता है।

    पति और बेटे के साथ रहती थी महिला

    दरअसल एक महिला ने आरोप लगाया कि वह अपने 4 साल के बेटे और पति के साथ जिस जगह रहती थी, वहीं आरोपी जो उस समय कॉलेज में पढ़ता था, अपने कुछ दोस्तों के साथ रहता था। इस दौरान महिला और आरोपी की जान-पहचान हो गई और दोनों में शारीरिक संबंध बने।

    महिला ने आरोप लगाया कि व्यक्ति ने पहले उससे शादी का वादा किया और कई बार संबंध बनाए। लेकिन बाद में शादी से इंकार कर दिया। सतारा के पुलिस स्टेशन में जुलाई 2023 में एक व्यक्ति के खिलाफ बलात्कार, अप्राकृतिक यौन संबंध और आपराधिक धमकी का मामला दर्ज कराया था।

    छात्र पर रेप का लगाया था आरोप

    • एफआईआर के मुताबिक, महिला ने कहा कि आरोपी ने शादी के झांसे में उसके साथ अलग-अलग लॉज में ले जाकर रेप किया, पैसे उधार लिए और उसकी कार भी इस्तेमाल की। हालांकि बाद में धर्म अलग होने का हवाला देकर शादी से इंकार कर दिया और सारे संपर्क खत्म कर दिए।
    • हालांकि आरोपी की दलील थी कि महिला ने ही रिश्ता शुरू किया था और उसने धमकाया भी था। आरोप एफआईआर रद करने के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट पहुंचा था और वहां से निराशा हाथ लगने पर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को खारिज कर दिया।

    पति से नहीं लिया था तलाक

    न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना और सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि महिला आरोपी के साथ लंबे समय तक रिलेशन में थी। इस दौरान उसका तलाक भी नहीं हुआ था। कोर्ट ने कहा कि आरोपी के साथ लॉज में जाने और संबंध बनाने का फैसला इस दावे को खारिज करता है कि उसके साथ जबरदस्ती की गई थी।

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला पहले से ही किसी और की पत्नी थी, इसलिए ये सवाल ही नहीं उठता कि उसके साथ शादी का झांसा देकर संबंध बनाए गए। पीठ ने कहा कि महिला ने एक्स्ट्रामैरिटरल अफेयर शुरू होने के करीब 6 महीने बाद तलाक लिया था। इसलिए व्यक्ति के खिलाफ केस नहीं बनता।

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