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    बंगाल में ओबीसी दर्जा रद करने में हाई कोर्ट की कार्यवाही पर रोक, सुप्रीम कोर्ट ने दिया ये निर्देश 

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 11:30 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट को बंगाल में ओबीसी दर्जे को रद्द करने के मामले में आगे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई की पीठ ने यह निर्देश दिया, क्योंकि हाई कोर्ट ने 18 नवंबर को सुनवाई तय की थी। अदालत ने स्पष्ट किया कि जब सुप्रीम कोर्ट मामले पर विचार कर रहा है, तो हाई कोर्ट आगे नहीं बढ़ सकता। मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी।

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    सुप्रीम कोर्ट का निर्देश। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कलकत्ता हाई कोर्ट को निर्देश दिया कि बंगाल में कई जातियों के ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) दर्जे को रद करने के मामले में फिलहाल आगे की कोई कार्यवाही नहीं होगी।

    मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई, जस्टिस के.विनोद चंद्रन और विपुल एम.पंचोली की पीठ के समक्ष गुरुवार को बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बताया कि हाई कोर्ट ने 18 नवंबर को सुनवाई के लिए याचिकाओं को तय किया है।

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    नहीं होगी कलकत्ता हाई कोर्ट में सुनवाई

    मुख्य न्यायाधीश ने कहा, ''जब सुप्रीम कोर्ट मामले पर विचार कर रहा है, तो हाई कोर्ट मामले के साथ कैसे आगे बढ़ सकता है?'' उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक आगे के आदेश नहीं दिए जाते, तब तक कलकत्ता हाई कोर्ट में कोई आगे की कार्यवाही नहीं होगी और चार सप्ताह बाद याचिकाओं की सुनवाई के लिए तय किया गया।

    चल रही है मुद्दे की जांच

    इससे पहले, 18 मार्च को बंगाल सरकार ने शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग इस मुद्दे की पुन: जांच कर रहा है और यह प्रक्रिया तीन महीने के भीतर पूरी होने की उम्मीद है। सिब्बल ने तब पीठ से अनुरोध किया था कि मामले को तीन महीने बाद सूचीबद्ध किया जाए, जिसके बाद अदालत ने जुलाई में अगली सुनवाई की तारीख तय की।

    क्या है मामला?

    यह कार्यवाही कलकत्ता हाई कोर्ट के 22 मई, 2024 के फैसले को चुनौती देने से उत्पन्न हुई, जिसमें राज्य में कई जातियों के ओबीसी दर्जे को रद कर दिया गया था, यह देखते हुए कि धर्म ही इस वर्गीकरण को देने का एकमात्र मानदंड प्रतीत होता है।

    शीर्ष अदालत में दायर दस याचिकाओं में से एक बंगाल सरकार ने दायर की थी। इसमें कलकत्ता हाई कोर्ट के 22 मई, 2024 के फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें 2010 से दिए गए कई जातियों के ओबीसी दर्जे को रद कर दिया गया था। हाई कोर्ट ने अप्रैल, 2010 से सितंबर, 2010 के बीच दिए गए 77 वर्गों के आरक्षण को रद कर दिया था।

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