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    'केंद्र अगर चाहता है तो...', ट्रिब्युनल रिफॉर्म एक्ट की सुनवाई करते हुए CJI ने किस बात पर जताई नाराजगी?

    Updated: Thu, 06 Nov 2025 10:30 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने न्यायाधिकरण सुधार कानून की सुनवाई टालने के केंद्र सरकार के अनुरोध पर नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस गवई ने इसे न्यायालय के प्रति अन्याय बताया। उन्होंने अटॉर्नी जनरल की अनुपस्थिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि यदि वे सोमवार को नहीं आए, तो कोर्ट सुनवाई पूरी कर देगा। कोर्ट ने पिछली सुनवाई में केंद्र की पांच न्यायाधीशों की पीठ को मामला भेजने की मांग पर भी नाराजगी जताई थी।

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    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से जताई नाराजगी। (फाइल फोटो)

    जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। न्यायाधिकरण सुधार कानून (ट्रिब्युनल रिफॉर्म एक्ट) की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई टालने के केंद्र सरकार के अनुरोध पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई। प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने केंद्र की मांग को न्यायालय के प्रति अन्याय करार दिया। यहां तक कि प्रधान न्यायाधीश ने उनकी पीठ में इस मामले की सुनवाई को लेकर केंद्र की मंशा पर भी सवाल उठाया।

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    जस्टिस गवई ने कहा कि यदि आप चाहते हैं कि 24 नवंबर तक सुनवाई न की जाए तो बता दीजिए। उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि अटार्नी जनरल अगर वह सोमवार को नहीं आए तो कोर्ट मामले पर सुनवाई पूरी करके बंद कर देगा। मालूम हो कि जस्टिस गवई 23 नवंबर को सेवानिवृत्त हो जाएंगे। सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाएं लंबित हैं जिनमें न्यायाधिकरण सुधार कानून 2021 की वैधानिकता को चुनौती दी गई है। एक याचिका मद्रास बार एसोसिएशन की भी है।

    कोर्ट ने इस बात पर जताई थी नाराजगी

    इस मामले की सुनवाई प्रधान न्यायाधीश गवई की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है। तीन नवंबर को पिछली सुनवाई पर केंद्र सरकार ने अर्जी दाखिल कर मामले की सुनवाई पांच न्यायाधीशों की बड़ी पीठ को भेजे जाने की मांग की थी जिस पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने कहा था कि सुनवाई के अंत में वह केंद्र से इस तरह की उम्मीद नहीं करता।

    केंद्र की ओर से यह अर्जी अटार्नी जनरल आर. वेंकटरमणी ने प्रस्तुत की थी और उस समय कोर्ट ने कहा था कि वह इस अर्जी को खारिज कर देगा। परिणामस्वरूप मामले में अटार्नी जनरल को केंद्र की ओर से मेरिट पर बहस करनी थी। कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए सोमवार का दिन तय किया था जिसे बाद में शुक्रवार कर दिया था। यानी मामले में शुक्रवार को सुनवाई होनी है।

    'और कितनी बार किया जाए'

    इस बीच, गुरुवार सुबह केंद्र की ओर से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्य भाटी ने जस्टिस गवई की पीठ के समक्ष मामले का जिक्र करते हुए शुक्रवार की सुनवाई टालने का अनुरोध किया। भाटी ने कहा कि अटार्नी जनरल शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के एक मामले में व्यस्त हैं।

    सुनवाई टालने की मांग पर प्रधान न्यायाधीश ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हमने आपको पहले भी दो बार समायोजित किया है और कितनी बार किया जाए। यह न्यायालय के साथ अन्याय है। जस्टिस गवई ने उनकी पीठ में सुनवाई को लेकर केंद्र की मंशा पर सवाल उठाते हुए नाराजगी के साथ कहा कि यदि आप इसे 24 नवंबर के बाद चाहते हैं तो हमें बताएं। लेकिन एएसजी ऐश्वर्य भाटी ने कहा कि ऐसा नहीं है, मामले पर केंद्र सरकार का पक्ष अटार्नी जनरल रख रहे हैं और वह शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता के मामले में व्यस्त हैं। कोर्ट इस पर सोमवार को सुनवाई कर ले।

    चीफ जस्टिस ने जताई नाराजगी

    प्रधान न्यायाधीश ने नाराजगी जताते हुए कहा कि तो फिर वह फैसला कब लिखेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि आप आखिरी वक्त में अर्जी दाखिल करके कहते हैं कि सुनवाई संविधान पीठ को भेज दी जाए। जस्टिस गवई ने कहा कि उन्होंने शुक्रवार को कोई और मामला सुनवाई के लिए नहीं रखा है। उन्होंने सोचा था कि शुक्रवार को सुनवाई करेंगे और सप्ताहांत में फैसला लिखेंगे।

    सीजेआई ने अटार्नी जनरल को सोमवार को पक्ष रखने की इजाजत दे दी, लेकिन साथ ही कहा कि अगर वह सोमवार को नहीं आए तो कोर्ट मामले पर सुनवाई पूरी करके बंद कर देगा। इस मामले में न्यायाधिकरण सुधार अधिनियम के कई प्रविधानों को चुनौती देते हुए उन्हें रद करने की मांग की गई है।

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