'बच्चे गुफा में थे, आप कहां थे?', SC ने इजरायली व्यक्ति को लगाई फटकार; कर्नाटक की गुफा में मिली थी रूसी महिला और बच्चे
कर्नाटक के गोकर्णा की गुफा में रूसी महिला और उसकी दो बेटियों के रहने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कथित पिता को फटकार लगाई। अदालत ने पूछा कि जब बच्चे गुफा में रह रहे थे तब वह क्या कर रहे थे। रूसी दूतावास ने महिला और उसकी बेटियों के लिए यात्रा दस्तावेज जारी किए।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कर्नाटक के गोकर्णा की गुफा में दो महीनों तक रह रही एक रूसी महिला और उसकी दो बेटियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कथित पिता को कड़ी फटकार लगाई है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि जब आपके बच्चे गुफा में रह रहे थे, तब आप क्या कर रहे थे।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ ने सुनवाई के दौरान यह टिप्पणी की। अदालत ने यह भी कहा कि भारत अब किसी के भी आने और बस जाने की जगह बन गया है। बता दें, 11 जुलाई को निना कुटिना जो रूस की नागरिक है, वो अपनी दो बेटियों के साथ रामतीर्थ पहाड़ियों की एक गुफा में रहती मिली थी।
रूसी दूतावास ने जारी किए दस्तावेज
स्थानीय अधिकारियों के अनुसा, यह परिवार लगभग दो महीने से गुफा में रह रहा था और उनके पास वैध यात्रा दस्तावेज नहीं थे। बाद में रूसी दूतावास ने निना कुटिना और उनकी बेटियों के लिए आपातकालीन यात्रा दस्तावेज जारी किए ताकि वे अपने देश लौट सके।
इस बीच, इजरायल के नागरिक डॉर श्लोमो गोल्डस्टीन ने कर्नाटक हाईकोर्ट में याचिका दायर की और दावा किया कि वह दोनों बच्चियों के पिता हैं। उन्होंने केंद्र सरकार से अनुरोध किया कि बच्चियों को फिलहाल रूस न भेजा जाए। गोल्डस्टीन ने बताया कि उन्होंने पिछले साल गोवा के पणजी पुलिस स्टेशन में अपने बच्चों के लापता होने की शिकायत दर्ज कराई थी।
कर्नाटक हाईकोर्ट ने याचिका की खारिज
कर्नाटक हाईकोर्ट ने गोल्डस्टीन की याचिका खारिज कर दी और केंद्र सरकार को मां और बेटियों को वापसी की अनुमति दी। अदालत ने कहा कि निना कुटिना खुद रूस लौटना चाहती हैं और गोल्डस्टीन यह स्पष्ट नहीं कर सके कि बच्चे गुफा में क्यों रह रहे थे।
सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी
मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने पूछा, "आपका क्या अधिकार है? आप कौन हैं? कोई आधिकारिक दस्तावेज दिखाइए जो साबित करे कि आप पिता हैं?" न्यायमूर्ति बागची ने टिप्पणी की कि यह सिर्फ पब्लिसिटी के लिए दायर याचिका लगती है। अंत में अदालत ने गोल्डस्टीन को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दी और टिप्पणी की कि यह देश अब किसी के भी आने और रहने की जगह बन गया है।
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