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    'मुन्ना भाई अंदर रहना चाहिए', CTET में प्रॉक्सी कैंडिडेट के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार

    Updated: Mon, 08 Sep 2025 09:08 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने सीटीईटी परीक्षा में प्राक्सी अभ्यर्थी का इस्तेमाल करने वाले आरोपी को फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि वह सार्वजनिक परीक्षा प्रणाली को नष्ट कर रहा है। जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने मुन्ना भाई एमबीबीएस फिल्म का उदाहरण दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी जिसके बाद उसने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

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    CTET में प्रॉक्सी कैंडिडेट के इस्तेमाल पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार (पीटीआई)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। दिसंबर, 2024 में उत्तर प्रदेश में केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) परीक्षा में अपने लिए कथित तौर पर एक प्राक्सी (क्षद्म व्यक्ति) अभ्यर्थी का इस्तेमाल करने वाले आरोपित को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जमकर फटकार लगाई। कोर्ट ने उससे कहा कि आप सार्वजनिक परीक्षाओं की पूरी व्यवस्था को नष्ट कर रहे हैं।

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    जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने बालीवुड फिल्म ''मुन्ना भाई एमबीबीएस'' का संदर्भ देते हुए कहा, ''मुन्ना भाई अंदर रहना चाहिए।'' 2003 की इस फिल्म में अभिनेता संजय दत्त ने मुन्ना भाई का किरदार निभाया था, जिसने मेडिकल परीक्षा में अपनी जगह किसी और को बिठाया था। बहरहाल, पीठ ने आरोपित से कहा, ''आप सार्वजनिक परीक्षाओं की पूरी व्यवस्था को बर्बाद कर रहे हैं। ऐसे कई उम्मीदवार हैं जो ऐसे लोगों के कारण परेशान होते हैं।''

    तीन लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर

    याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि इस मामले में तीन लोगों के खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया था और उनमें से दो को जमानत मिल गई है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता के प्राक्सी उम्मीदवार के रूप में परीक्षा देने वाले कथित ''साल्वर'' (प्रश्नपत्र को हल करने वाला) को भी जमानत दे दी गई है।

    इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत से किया इनकार

    पीठ ने इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा याचिकाकर्ता को जमानत देने से इन्कार करने के आदेश को चुनौती देने वाली याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा और मामले की सुनवाई चार हफ्ते बाद तय की। याचिकाकर्ता और अन्य पर एक स्कूल प्रिंसिपल द्वारा दायर शिकायत के आधार पर बीएनएस (भारतीय न्याय संहिता) और उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम के प्रविधानों के तहत कथित अपराधों के लिए मामला दर्ज किया गया था।

    फर्जी प्रवेश पत्र से परीक्षा दे रहा था आरोपी

    आरोप लगाया गया था कि स्कूल में 15 दिसंबर, 2024 को परीक्षा आयोजित की गई थी और एक संदिग्ध परीक्षार्थी के बारे में सूचना मिली थी। दोबारा जांच करने पर उसका बायोमेट्रिक मिलान नहीं हुआ और पाया गया कि याचिकाकर्ता संदीप सिंह पटेल के स्थान पर एक अन्य व्यक्ति फर्जी प्रवेश पत्र का उपयोग करके परीक्षा दे रहा था। हाईकोर्ट के समक्ष याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि उसे मामले में झूठा फंसाया गया है और परीक्षा के दिन वह बीमार था और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

    याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट में यह भी दावा किया था कि उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि उसकी ओर से कोई अन्य व्यक्ति परीक्षा में बैठा था। हाईकोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा, ''जब किसी परीक्षा में किसी अन्य व्यक्ति की जगह कोई साल्वर परीक्षा देता है, तो इससे शिक्षा प्रणाली की अखंडता पर आंच आती है और समाज पर गंभीर प्रभाव पड़ता है।''

    (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

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