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    Supreme Court: राजनेताओं को मोटी चमड़ी वाला होना चाहिए, जजों को भी सतर्क रहने की जरूरत

    गर्ग चटर्जी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल और अधिवक्ता आशुतोष दुबे ने पीठ को बताया कि उन्होंने 2020 में ट्विटर (अब एक्स) पर कुछ टिप्पणियां की थीं। उनके विरुद्ध असम और बंगाल में कई प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं जिन्हें आगे की जांच के लिए एक साथ जोड़कर किसी तटस्थ राज्य में स्थानांतरित करने की जरूरत है।

    By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Updated: Wed, 31 Jan 2024 12:06 AM (IST)
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    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राजनेताओं को मोटी चमड़ी वाला होना चाहिए। (File Photo)

    पीटीआई, नई दिल्ली। असमी लोगों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियों के लिए दर्ज कई प्राथमिकियों के संबंध में गिरफ्तारी से संरक्षण का अनुरोध करने वाली बंगाल के एक राजनीतिक टिप्पणीकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा, 'नेताओं को मोटी चमड़ी वाला (अर्थात लोगों की टिप्पणी से अप्रभावित रहने वाला) होना चाहिए।'

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    जजों को भी सतर्क रहने की जरूरत

    जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संजय करोल की पीठ ने बंगाल के एक राजनीतिक टिप्पणीकार गर्ग चटर्जी की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, 'नेताओं को मोटी चमड़ी वाला होना चाहिए। आजकल पत्रों और साक्षात्कारों के संबंध में हम जजों को भी सतर्क रहने की जरूरत है। अगर हम उनकी बात सुनने लगेंगे, तो काम ही नहीं कर पाएंगे।'

    असम और बंगाल में कई प्राथमिकियां दर्ज की गई

    गर्ग चटर्जी की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ अग्रवाल और अधिवक्ता आशुतोष दुबे ने पीठ को बताया कि उन्होंने 2020 में ट्विटर (अब एक्स) पर कुछ टिप्पणियां की थीं। उनके विरुद्ध असम और बंगाल में कई प्राथमिकियां दर्ज की गई हैं, जिन्हें आगे की जांच के लिए एक साथ जोड़कर किसी तटस्थ राज्य में स्थानांतरित करने की जरूरत है। असम के तत्कालीन मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल की टिप्पणियों का जिक्र करते हुए अग्रवाल ने कहा कि उन्होंने चटर्जी की गिरफ्तारी का आदेश दिया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।

    मामला अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध

    उन्होंने कहा, '19 अगस्त 2020 को याचिकाकर्ता ने असम के लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली अपनी टिप्पणी के लिए सार्वजनिक माफी मांगी थी।' पीठ ने उनसे पूछा कि उन्हें जमानत दी गई या नहीं। अग्रवाल ने कहा कि जमानत दे दी गई और उन्हें नौ सितंबर 2022 को इस अदालत द्वारा बंगाल और असम में दर्ज प्राथमिकियों के संबंध में गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की गई। इसके बाद पीठ ने मामले को गैर-विविध दिन पर अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया और दलीलें पूरी करने को कहा।

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