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Lok Sabha Elections: खरगे के बयान पर भाजपा का पलटवार, 'लोकतंत्र की आड़ में चल रहे राजवंशों की सत्ता को मिल रही है चुनौती'

Lok Sabha Elections 2024 खरगे के बयान को आपत्तिजनक बताते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि जनता ने लोकतंत्र के नाम पर राजतंत्र चलाने वाली पार्टियों और परिवारों को नकारना शुरू कर दिया है। इस सिलसिले में उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार पंजाब में बादल परिवार हरियाणा में हुड्डा परिवार के चुनावों में हार का -उदाहरण दिया।

By Jagran News Edited By: Narender Sanwariya Published: Tue, 30 Jan 2024 09:22 PM (IST)Updated: Tue, 30 Jan 2024 09:22 PM (IST)
Lok Sabha Elections: खरगे के बयान पर भाजपा का पलटवार (File Photo)

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आगामी लोकसभा चुनाव में अंतिम बार मतदान का अवसर मिलने के कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बयान पर भाजपा ने तीखा पलटवार किया है। भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने खरगे के बयान को अशांति उत्पन्न करने वाला बताया है। उनके अनुसार असल में लोकतंत्र का आवरण ओढ़े हुए राजवंशों की सत्ता को चुनौती मिल रही है। वहीं सूचना व प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने खरगे के बयान को आइएनडीआइए गठबंधन में मचे घमासान से उत्पन्न हताशा का परिणाम बताया है। जबकि संसदीय कार्यमंत्री प्रह्लाद जोशी ने आइएनडीआइए को ब्रेन डेड बताते हुए कहा कि उसकी स्वाभाविक मौत सुनिश्चित है।

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राजवंशों को आगे रखकर राजनीति करना असंभव

खरगे के बयान को आपत्तिजनक बताते हुए सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि जनता ने लोकतंत्र के नाम पर राजतंत्र चलाने वाली पार्टियों और परिवारों को नकारना शुरू कर दिया है। इस सिलसिले में उन्होंने जम्मू-कश्मीर में अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार, पंजाब में बादल परिवार, हरियाणा में हुड्डा परिवार के चुनावों में हार का -उदाहरण दिया। इसके साथ ही उन्होंने अशोक गहलोत, अखिलेश यादव, लालू यादव और केसी राव के परिवारजनों के चुनाव हारने को भी गिनाया। यही नहीं, परिवारवाद के सबसे बड़े प्रतीक राहुल गांधी भी चुनाव हार चुके हैं। उन्होंने कहा कि भारत में वास्तविक लोकसत्ता का प्रादुर्भाव हो चुका है और इसीलिए राजवंशों को आगे रखकर राजनीति करना असंभव हो जाएगा।

इंदिरा गांधी भी पहली बार प्रधानमंत्री कांग्रेस को तोड़कर बनी थी

सुधांशु त्रिवेदी ने विस्तार से बताया कि जवाहरलाल नेहरू से लेकर मनमोहन सिंह तक कांग्रेस के सभी प्रधानमंत्री जनता के जीरो समर्थन से सत्ता पर काबिज होते रहे हैं। उन्होंने कहा कि 1946 में कांग्रेस की 16 समितियों में किसी ने भी जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री के रूप में नहीं चुना था। इसी तरह से इंदिरा गांधी भी पहली बार प्रधानमंत्री कांग्रेस को तोड़कर बनी थी, जनता के समर्थन से नहीं। वहीं इंदिरा गांधी की मौत के बाद राजीव गांधी को प्रधानमंत्री बना दिया गया था। यही स्थिति पीवी नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री बनने की भी रही। कांग्रेस उन्हें प्रधानमंत्री चेहरा रखकर चुनाव नहीं लड़ी थी, बल्कि बैकडोर से उन्हें प्रधानमंत्री बना दिया गया।

जवाहरलाल नेहरू की तुलना हिटलर से

भाजपा प्रवक्ता ने आजादी के बाद से लगातार लोकतंत्र के हनन के उदाहरण भी गिनाए। उन्होंने कहा कि प्रसिद्ध गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी को दो साल के लिए जेल में सिर्फ इसीलिए डाल दिया गया था कि उन्होंने जवाहरलाल नेहरू की तुलना हिटलर से करते हुए लेख लिखा था। उन्होंने राजीव गांधी के कार्यकाल में एक अखबार की बिजली काटे जाने व आयकर विभाग की कार्रवाई के साथ ही एजेंसियों को चिट्ठियों को पढ़ने के लिए खुली छूट देने वाले पोस्ट एंड टेलीग्राफ एक्ट का भी हवाला दिया। वैसे तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के कारण यह एक्ट लागू नहीं हो सका।

इंदिरा गांधी ने न्यायपालिका पर भी शिकंजा कसने की कोशिश की थी

कांग्रेस अध्यक्ष के लोकतंत्र की दुहाई पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि नरसिम्हा राव की एकमात्र सरकार थी, जिसने पैसे देकर सदन में बहुमत हासिल किया था और इसके सारे प्रमाण मौजूद हैं। यही नहीं, इंदिरा गांधी ने आपातकाल में लोकसभा का कार्यकाल पांच साल से बढ़ाकर छह साल कर दिया था। उनके अनुसार इंदिरा गांधी ने हिटलर की तरह से न्यायपालिका पर भी शिकंजा कसने की कोशिश की थी। उन्होंने कहा कि इन अधिनायकवादी शक्तियों के हाथ से सत्ता से निर्णायक रूप से जाने का समय आ गया है। सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस पर अंग्रेजों की गुलाम मानसिकता के तहत काम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि 2014 के बाद भारत में मोदी के नेतृत्व में गुलामी से मुक्त लोकतांत्रिक सत्ता आई है और उस समय में ब्रिटिश अखबार ने अपने लेख में इसे स्वीकार भी किया था।

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