सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अतिक्रमणों का पता लगाने के लिए सेटेलाइट मैपिंग और जिओ फेंसिंग का उपयोग जरूरी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अनधिकृत निर्माण 12 महीनों रहने वाली समस्या है। इसलिए अतिक्रमण पर लगाम कसने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग जरूरी है। पीठ ने कहा है कि अतिक्रमणों का पता लगाने के लिए भूमि और भवनों की सेटेलाइट मैपिंग और जियो फेंसिंग करना आवश्यक है।

नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अनधिकृत निर्माण 12 महीनों रहने वाली समस्या है। इसलिए अतिक्रमण पर लगाम कसने के लिए आधुनिक तकनीकों का उपयोग जरूरी है। जस्टिस संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति अभय एस ओका की पीठ ने कहा है कि अतिक्रमणों का पता लगाने के लिए भूमि और भवनों की सेटेलाइट मैपिंग और जियो फेंसिंग करना आवश्यक है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि हाई क्वालिटी कैमरों से लैस ड्रोन की सेवाओं को शामिल करके हवाई तस्वीरें प्राप्त करना भी एक विकल्प हो सकता है, क्योंकि इसे सेटेलाइट इमेजरी चित्रों की तुलना में गुणवत्ता में बेहतर माना जाता है। शीर्ष अदालत ने पिछले सप्ताह संपत्तियों की डी-सीलिंग से संबंधित मामलों की सुनवाई करते हुए यह बात कही।
शीर्ष अदालत ने न्यायिक समिति का किया था गठन
कोर्ट ने कहा कि विश्लेषण के दौरान पाया गया कि दिल्ली सरकार द्वारा अतिक्रमण का पता लगाने के लिए डिजिटल इंडिया भूमि रिकार्ड आधुनिकीकरण कार्यक्रम (डीआइएलआरएमपी) के तहत काम पहले ही पूरा कर लिया गया है। बीते माह शीर्ष कोर्ट ने हाई कोर्ट के दो सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की एक न्यायिक समिति का गठन किया था जोकि संपत्तियों की सीलिंग और डी-सीलिंग, नियमितीकरण, जुर्माना, अनधिकृत निर्माण को ध्वस्त करने और अतिक्रमण हटाने से संबंधित मुद्दों को देखेगी।
अतिक्रमण रोकने के लिए जियो-फेंसिंग के उपयोग पर दिया जोर
पीठ ने इस दौरान कहा कि चयनित क्षेत्रों की निगरानी और विभिन्न उद्देश्यों के लिए जियो-फेंसिंग का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। इसका उपयोग जल निकायों, जंगल और खदानों के मामले में अतिक्रमण और अवैध खनन को रोकने के लिए नियमित निगरानी के रूप में इसका उपयोग किया जा सकता है।
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