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    'मनी लांड्रिंग गंभीर अपराध', सुप्रीम कोर्ट ने कहा इसमें व्यक्ति अपने लाभ के लिए राष्ट्र हित की अनदेखी करता है

    By Agency Edited By: Jeet Kumar
    Updated: Fri, 14 Feb 2025 05:30 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम(पीएमएलए) का उद्देश्य मनी लां¨ड्रग रोकना है जो देश की वित्तीय व्यवस्था के लिए खतरा है। मनी लां¨ड्रग एक गंभीर अपराध है जिसमें व्यक्ति अपना लाभ बढ़ाने के लिए राष्ट्र और समाज हित की अनदेखी करता है। इस अपराध को किसी भी तरह से क्षुद्र प्रकृति का अपराध नहीं कहा जा सकता।

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    मनी लांड्रिंग गंभीर अपराध- सुप्रीम कोर्ट (फोटो- सोशल मीडिया)

     जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में मनी लांड्रिंग को देश की वित्तीय व्यवस्था और संप्रभुता व अखंडता के लिए खतरा बताते हुए कहा है कि यह कोई साधारण अपराध नहीं है। यह एक गंभीर अपराध है।

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    मनी लांड्रिंग गंभीर अपराध- सुप्रीम कोर्ट

    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनी लांड्रिंग रोकथाम अधिनियम(पीएमएलए) का उद्देश्य मनी लांड्रिंग रोकना है, जो देश की वित्तीय व्यवस्था के लिए खतरा है। मनी लांड्रिंग एक गंभीर अपराध है, जिसमें व्यक्ति अपना लाभ बढ़ाने के लिए राष्ट्र और समाज हित की अनदेखी करता है। इस अपराध को किसी भी तरह से क्षुद्र प्रकृति का अपराध नहीं कहा जा सकता।

    शीर्ष अदालत ने कहा कि यह कानून मनी लांड्रिंग गतिविधियों से निपटने के लिए बनाया गया है। इसमें वित्तीय प्रणाली पर अंतरराष्ट्रीय प्रभाव डालने वाली मनी ला¨ड्रग की गतिविधियां आती हैं, जिसका असर देशों की संप्रभुता और अखंडता पर भी पड़ता है। दुनिया भर में मनी लांड्रिंग को अपराध का गंभीर रूप माना गया है। इसमें शामिल अपराधी को सामान्य अपराधी से अलग वर्ग का माना जाता है।

    सर्वोच्च न्यायालय ने जमानत याचिका पर कही ये बात

    सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि मनी लांड्रिंग की गतिविधि में शामिल अपराधी के अपराध की गंभीरता और पीएमएलए की धारा 45 के कठोर प्रविधानों पर विचार किए बगैर अदालतों द्वारा सरसरी तौर पर जमानत दिए जाने को सही नहीं कहा जा सकता। आरोपित व्यक्तियों की जमानत याचिकाओं पर निर्णय करते समय मनी लांड्रिंग रोकथाम कानून में निर्धारित दोहरी शर्तों पर विचार करना अनिवार्य है।

    पीएमएलए की धारा 45 की दोहरी शर्तों के अनुसार अभियोजक को जमानत याचिका का विरोध करने का अवसर दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही न्यायालय को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह मानने के लिए उचित आधार है कि आरोपित अपराध का दोषी नहीं है और जमानत पर कोई अपराध नहीं करेगा।

    इन टिप्पणियों के साथ न्यायमूर्ति बेला एम त्रिवेदी और प्रसन्ना बी. वराले की पीठ ने मनी लांड्रिंग के आरोपित कन्हैया प्रसाद को जमानत देने का पटना हाई कोर्ट का आदेश खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कन्हैया प्रसाद को एक सप्ताह के भीतर समर्पण करने का आदेश दिया है।

    मामला आरोपित कन्हैया प्रसाद से जुड़ा

    साथ ही मामला नए सिरे से विचार के लिए हाई कोर्ट को वापस भेजा है। यह भी कहा है कि जिस पीठ ने पहले फैसला दिया था उसके अलावा किसी दूसरी पीठ को मामला विचार के लिए सौंपा जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश गुरुवार को पटना हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ दाखिल ईडी की अपील स्वीकार करते हुए सुनाया है।

    पटना हाई कोर्ट ने छह मई, 2024 को कन्हैया प्रसाद की याचिका स्वीकार करते हुए उसे मनी लांड्रिंग मामले में जमानत दे दी थी।माजूदा मामला मैसर्स बोर्ड सन कमोडिटीज प्राइवेट लिमिटेड और उसके निदेशकों के गैर कानूनी खनन और रेत की गैर कानूनी ढंग से बिक्री से जुड़ा है। इस मामले में आइपीसी, पीएमएलए व अन्य कानूनों के तहत करीब 20 मामले दर्ज हैं। इसमें सरकार को करीब 161 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ।

    ईडी के मुताबिक, अपराध से प्राप्त आय का इस्तेमाल संपत्ति खरीदने, परिवारिक ट्रस्ट की अधिकृत संपत्ति में रिनोवेशन का काम कराने में किया गया। इस मामले में ईडी ने 10 नवंबर 2023 को अभियुक्तों के खिलाफ अदालत में शिकायत (आरोपपत्र) दाखिल की और पीएमएलए कोर्ट ने उसी दिन उस पर संज्ञान लिया। पटना हाई कोर्ट ने इसके बाद अभियुक्त को जमानत दे दी थी, जिसके खिलाफ ईडी सुप्रीम कोर्ट आई थी।

    सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का आदेश रद करते हुए फैसले में कही ये बात

    सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट का आदेश रद करते हुए फैसले में कहा कि हाई कोर्ट ने बहुत ही कैजुअल तरीके से जमानत दी है। धारा 45 के प्रविधानों पर विचार नहीं किया है। हाई कोर्ट ने अभियुक्त को जमानत देते वक्त आदेश में यह दर्ज नहीं किया कि अभियुक्त के अपराध में दोषी नहीं होने का तर्कसंगत आधार है और जमानत के दौरान उसके अपराध करने की कोई संभावना नहीं है। कोर्ट ने कहा कि धारा 45 की इन जरूरी शर्तों का पालन न करने के चलते हाई कोर्ट का आदेश बना रहने लायक नहीं है।