SC में होनी थी सुनवाई, केंद्र सरकार का वकील ही नहीं पहुंचा; जज बोले- थोड़ा शिष्टाचार तो दिखाइए
पश्चिम बंगाल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक मूल वाद दायर किया है। जब सुप्रीम कोर्ट में इसकी सुनवाई शुरू ...और पढ़ें

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दायर मुकदमे की सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से विधि अधिकारी या वकील उपस्थित नहीं होने पर चिंता जताई। इसने कहा कि कोर्ट के प्रति थोड़ा शिष्टाचार दिखाएं।
जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस आगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त की कि मामले की सुनवाई के समय कोर्ट में कोई विधि अधिकारी मौजूद नहीं था। एक वकील ने पीठ को बताया कि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष एक अन्य मामले पर बहस कर रहे थे, जबकि उन्हें इस मामले में कोर्ट में पेश होना था।
जस्टिस गवई बोले- कुछ शिष्टाचार दिखाएं
जस्टिस गवई ने कहा, 'किसी को यहां होना चाहिए। इससे कोर्ट के प्रति कोई शिष्टाचार नहीं दिख रहा है। यहां बहुत सारे विधि अधिकारी हैं। कोर्ट के प्रति कुछ शिष्टाचार दिखाएं। यह राज्य और संघ के बीच का विवाद है।'
उन्होंने बताया कि केंद्र के पैनल में कई वरिष्ठ वकील भी हैं। इसके बाद पीठ ने वकील के अनुरोध पर मामले को आगे बढ़ा दिया। बाद में जब सालिसिटर जनरल किसी अन्य मामले में कोर्ट में पेश हुए तो जस्टिस गवई ने उनसे कहा, 'श्रीमान सॉलिसिटर, पश्चिम बंगाल के मामले में कोई भी मौजूद नहीं था। यह बहुत दुखद तस्वीर पेश करता है कि संघ महत्वपूर्ण मामलों में दिलचस्पी नहीं रखता है। आपके पैनल में बहुत सारे विधि अधिकारी हैं, बहुत सारे वरिष्ठ वकील हैं, मगर एक भी वकील मौजूद नहीं था।'
दो सप्ताह के लिए स्थगित सुनवाई
- बहरहाल, सॉलिसिटर जनरल के अनुरोध पर पीठ ने मामले की सुनवाई को दो सप्ताह के लिए स्थगित कर दिया। जस्टिस गवई ने हल्के अंदाज में कहा, '17 कोर्ट हैं और तुषार मेहता हर कोर्ट में मौजूद नहीं हो सकते।'
- गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत केंद्र के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक मूल वाद दायर किया है। इसमें आरोप लगाया गया है कि सीबीआई एफआईआर दर्ज किए जा रही है और अपनी जांच आगे बढ़ा रही है, जबकि राज्य ने अपने क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में मामलों की जांच के लिए संघीय एजेंसी को दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है।
यह भी पढ़ें: 'बहुत हुआ, विचार करना असंभव', पूजा स्थल कानून पर SC ने कहा- 'चार साल हो गए हैं लेकिन...'

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।