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Supreme Court की टिप्पणी, कहा- एकतरफा होते हैं बीमा अनुबंध, उपभोक्ता के पास बचते हैं बहुत कम विकल्प

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बीमा अनुबंध मामले में सुनवाई के दौरान अहम टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बीमा अनुबंध एकतरफा होते हैं जिसके कारण उपभोक्ता के पास हस्ताक्षर करने के अलावा बहुत कम विकल्प बचते हैं।

By AgencyEdited By: Mohd FaisalPublished: Wed, 09 Nov 2022 11:04 PM (IST)Updated: Wed, 09 Nov 2022 11:04 PM (IST)
बीमा अनुबंध मामले में सुप्रीम कोर्ट की अहम टिप्पणी (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि किसी भी बीमा कंपनी द्वारा तैयार किए गए बीमा अनुबंधों के कारण एक उपभोक्ता के पास बहुत कम विकल्प बचते हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश की पीठ ने यह टिप्पणी राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के उस आदेश को खारिज करते हुए की है, जिसमें एक दुकान में आग लगने की घटना के लिए मुआवजे की मांग की गई थी।

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क्या है बीमा अनुबंध

दरअसल, बीमा का अनुबंध बीमाकर्ता द्वारा एक मानक प्रारूप के साथ तैयार किया जाता है, जिस पर एक उपभोक्ता को हस्ताक्षर करने के लिए कहा जाता है। उपभोक्ता के पास अनुबंध की शर्तों पर हस्ताक्षर करने के अलावा बहुत कम विकल्प होते हैं। इस दौरान प्रमुख पक्ष बीमाकर्ता अपनी शर्तों को निर्धारित करता है और इसे उपभोक्ता पर छोड़ देता है। बेंच ने कहा कि ऐसे अनुबंध स्पष्ट रूप से एकतरफा होते हैं, जो कि उपभोक्ता की कमजोर सौदेबाजी की शक्ति के कारण बीमाकर्ता के पक्ष में होते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने की अहम टिप्पणी

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुबंध की स्वतंत्रता की अवधारणा बीमा के अनुबंध के महत्व खो देती है। ऐसे संविदाओं में बीमाकर्ता की ओर से बहुत उच्च स्तर के विवेक, अच्छे विश्वास, प्रकटीकरण और सूचना की मांग की जाती है, जो निष्पक्षता के सिद्धांत के विभिन्न पहलू हैं। हालांकि, बीमा का एक अनुबंध उपभोक्ता की ओर से एक स्वैच्छिक कार्य है, जिससे भविष्य में होने वाली किसी भी आकस्मिकता को कवर करने का है।

याचिकाकर्ता ने कोर्ट से की थी ये मांग

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस उद्देश्य के लिए निश्चित रूप से प्रीमियम का भुगतान किया जाता है, क्योंकि जब भगवान का एक अधिनियम होता है तो प्रतिपूर्ति की एक वैध उम्मीद होती है। इसलिए, एक बीमाकर्ता से उस उद्देश्य को ध्यान में रखने की उम्मीद की जाती है। इस मामले में याचिकाकर्ता टेक्सको मार्केटिंग प्राइवेट लिमिटेड ने टाटा एआईजी जनरल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड से एक पॉलिसी हासिल ली थी। इसका उद्देश्य इमारत के बेसमेंट में स्थित एक दुकान को कवर करना था। हालांकि, अनुबंध के बहिष्करण खंड में यह निर्दिष्ट किया गया है कि यह बेसमेंट को कवर नहीं करता है।

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