आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार सामान्य श्रेणी में नहीं जा सकते, यदि नियम रोकते हैं- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सामान्य वर्ग के साथ खुली प्रतियोगिता में शुल्क या ऊपरी आयु सीमा में छूट पानेवाले आरक्षित वर्ग के प्रतिभागियों को अनारक्षित श्रेणी में नहीं माना जाएगा अगर भर्ती नियम रोक लगाते हैं। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जोयमाला बागची की पीठ ने त्रिपुरा हाई कोर्ट के आदेश पर मुहर लगाते हुए कहा कि यह मामला हर मामले के तथ्यों पर निर्भर करेगा।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सामान्य वर्ग के साथ खुली प्रतियोगिता में शुल्क या ऊपरी आयु सीमा में छूट का लाभ पानेवाले आरक्षित वर्ग के प्रतिभागियों का अनारक्षित श्रेणी की रिक्तियों में चयन के लिए विचार नहीं किया जा सकता है, यदि भर्ती नियम ऐसे स्थानांतरण पर रोक (इंबार्गो) लगाते हों।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और जोयमाला बागची की पीठ ने त्रिपुरा हाई कोर्ट के एक आदेश पर मुहर लगाते हुए कहा कि अनारक्षित वर्ग के साथ प्रतिस्पर्धा के क्रम में अनारक्षित वर्ग के प्रतिभागियों ने यदि फीस या ऊपरी आयु सीमा में छूट का लाभ उठाया है, तो उन्हें अनारक्षित सीटों पर भर्ती किया जा सकता है या नहीं, ये हर मामले के तथ्यों पर निर्भर करेगा।
भर्ती के दौरान जहां नियमों या रोजगार अधिसूचना में कोई इंबार्गो न हो- SC
शीर्ष अदालत ने एक मामले में स्पष्ट किया कि ऐसी भर्ती के दौरान जहां नियमों या रोजगार अधिसूचना में कोई इंबार्गो न हो, वहां अंतिम चयनित अनारक्षित उम्मीदवार से अधिक अंक पानेवाले आरक्षित वर्ग के प्रतिभागी को स्थानांतरित होने और अनारक्षित सीटों पर भर्ती होने का अधिकार होना चाहिए।पीठ ने साफ किया कि जहां भर्ती नियमों के तहत कोई इंबार्गो लगाया जाता है, वहां आरक्षित उम्मीदवारों को सामान्य श्रेणी की सीटों पर जाने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
केंद्र ने हाई कोर्ट के आदेश को दी चुनौती
बता दें कि एक मामले में केंद्र ने हाई कोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें निर्देश दिया गया था कि कांस्टेबल के पद के लिए आयु में छूट का लाभ उठाने के बाद ओबीसी श्रेणी में आरक्षित उम्मीदवार के तौर पर आवेदन करनेवाले याचिकाकर्ताओं को अनारक्षित श्रेणी के तहत भर्ती के लिए विचार किया जाए। इन उम्मीदवारों ने ओबीसी श्रेणी के तहत आवेदन किया था और इस छूट का लाभ उठाकर योग्यता प्राप्त की थी।
हालांकि, उन्हें असफल घोषित कर दिया गया क्योंकि विभिन्न विभागों में ओबीसी श्रेणी में अंतिम चयनित उम्मीदवार से उनके अंक कम थे। लेकिन उन विभागों में अनारक्षित श्रेणी में अंतिम चयनित उम्मीदवार से उनके अंक अधिक थे। याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर दावा किया कि उन्हें अनारक्षित श्रेणी में स्थानांतरित होने की अनुमति दी जानी चाहिए।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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