सुप्रीम कोर्ट ने विधवा को संपत्ति का अधिकार दिया वापस, ससुराल वालों को लगाई फटकार
सुप्रीम कोर्ट ने एक विधवा के संपत्ति अधिकारों को बहाल किया जिसे ससुराल वालों ने पति की बीमा राशि लेने के बाद घर से निकाल दिया था। जस्टिस सूर्यकांत और जायमाल्या बागची की पीठ ने ससुराल वालों पर मारपीट का आरोप भी देखा। कोर्ट ने आरोपियों को संपत्ति वापस करने का निर्देश दिया और जमानत रद्द करने की चेतावनी दी।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एक विधवा के संपत्ति के अधिकार बहाल कर दिए, जिसे उसके ससुराल वालों ने उसके पति की जीवन बीमा पालिसी से पैसे लेने के बाद वैवाहिक घर से बाहर निकाल दिया था। जस्टिस सूर्यकांत और जायमाल्या बागची की पीठ ने सोमवार को देखा कि ससुराल वालों पर विधवा के साथ मारपीट करने का भी आरोप है।
इस पीठ ने मामले में शीर्ष अदालत में अग्रिम जमानत के लिए दरवाजा खटखटाने वाले बिरेंद्र उरांव से कहा, ''आपने इस गरीब विधवा को उसके पति की मृत्यु के बाद उसके घर से बाहर फेंक दिया, केवल उसकी संपत्तियों को छीनने के लिए। आपने उसके पति के नाम से जीवन बीमा पालिसी से पैसे लिए। अब आप गरीब आदिवासी होने का दावा कर रहे हैं। यह स्वीकार्य नहीं है।''
कोर्ट ने मारपीट के आरोपों का लिया संज्ञान
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, ''ये लोग सोचते हैं कि आदिवासी होने के नाते वे कुछ भी कर सकते हैं। हम समझते हैं कि इन ग्रामीण क्षेत्रों में क्या होता है।'' शीर्ष अदालत ने विधवा के ससुराल वालों द्वारा प्रस्तुत एक नोट को रिकार्ड में लिया, जिसमें उसके नाम पर संपत्तियों की बहाली का आश्वासन दिया गया था। पीठ ने मृतक साकेंद्र उरांव के परिवार के सदस्यों द्वारा महिला के साथ किए गए उत्पीड़न के आरोपों के गंभीर स्वभाव को रेखांकित किया।
शीर्ष अदालत ने बुडो उरांव, लालमोहन उरांव, लक्षु उरांव, कौलश्वर उरांव और जितेंद्र उरांव (ससुराल वाले और परिवार के सदस्य) को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया कि क्यों विधवा के साथ मारपीट के मामले में उन्हें दी गई नियमित जमानत को रद नहीं किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने जमानती वारंट जारी करने का निर्देश दिया
पीठ ने आरोपितों के खिलाफ पांच हजार रुपये के जमानती वारंट जारी करने का निर्देश दिया और झारखंड के लातेहार जिले के पुलिस अधीक्षक से कहा कि वह वारंटों को निष्पादित करें और अगली सुनवाई से पहले अनुपालन रिपोर्ट प्रस्तुत करें। मामले को 15 सितंबर के लिए पोस्ट करते हुए पीठ ने याचिकाकर्ता बिरेंद्र उरांव की जमानत केवल एक सप्ताह बढ़ाने का निर्देश दिया।
(समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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