आयु सीमा में छूट लेने वाले OBC उम्मीदवारों को झटका, अर्ध सैनिक बल भर्ती मामले में SC का अहम फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार भर्ती में आयु सीमा में छूट लेने के बाद अनारक्षित वर्ग में स्थानांतरित नहीं हो सकता अगर नियमों में मनाही हो। कोर्ट ने त्रिपुरा हाई कोर्ट के उस आदेश को रद्द कर दिया जिसमें अर्धसैनिक बलों की भर्ती में ओबीसी अभ्यर्थियों को सामान्य वर्ग में स्थानांतरित करने का आदेश दिया गया था।

माला दीक्षित, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम आदेश में कहा है कि अगर कोई आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार भर्ती के समय आरक्षित वर्ग को आयु सीमा में मिली छूट का लाभ लेता है तो बाद में वह अनारक्षित वर्ग की रिक्तियों (सामान्य वर्ग) में स्थानांतरित नहीं हो सकता अगर नियमों में इसकी स्पष्ट मनाही की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की अपील स्वीकार करते हुए त्रिपुरा हाई कोर्ट का वह आदेश रद कर दिया है, जिसमें अर्धसैनिक बलों की भर्ती में आयु सीमा में छूट का लाभ लेकर भर्ती परीक्षा में शामिल हुए ओबीसी अभ्यर्थियों को बाद में सामान्य वर्ग में स्थानांतरित कर नियुक्ति देने का आदेश दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जोयमाल्या बाग्ची की पीठ ने स्टाफ सिलेक्शन बोर्ड (एसएससी) की 2015 की अर्धसैनिक बलों में सिपाही (जनरल ड्यूटी (जीडी) भर्ती के मामले में नौ सितंबर को यह फैसला दिया है। पीठ ने आयु सीमा या फीस आदि का लाभ लेकर सामान्य वर्ग के साथ खुली भर्ती में भाग लेने वाले आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार के बाद में अनारक्षित वर्ग में नियुक्ति के लिए स्थानांतरित होने के बारे में कानूनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि ये हर मामले के तथ्यों पर निर्भर करेगा।
अगर भर्ती नियमों या रोजगार अधिसूचना में स्पष्ट रूप से मनाही नहीं है तो आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार, जिसने अनारक्षित वर्ग यानी सामान्य वर्ग के अंतिम चयनित उम्मीदवार से ज्यादा अंक हासिल किए हैं। सामान्य वर्ग की रिक्ति में नियुक्ति के लिए स्थानांतरित हो सकता है यानी उसकी नियुक्ति सामान्य वर्ग की रिक्ति में हो सकती है, लेकिन अगर संबंधित भर्ती नियमों में इसकी स्पष्ट रूप से मनाही की गई है और रोक लगाई गई है तो वह सामान्य पद की रिक्ति में नियुक्त नहीं हो सकता। यानी बाद में सामान्य वर्ग के अंतिम उम्मीदवार से ज्यादा अंक पाने पर भी नियुक्ति के लिए सामान्य वर्ग में स्थानांतरित नहीं हो सकता।
पिछला आदेश गलत
कोर्ट ने कहा कि मौजूदा मामले में प्रतिवादियों (ओबीसी वर्ग के उम्मीदवारों) को बाद में सामान्य वर्ग में नियुक्ति के लिए स्थानांतरित नहीं किया जा सकता, क्योंकि उन्होंने ओबीसी आरक्षित वर्ग को नियमों में मिली आयु सीमा की छूट का लाभ लिया था। ऐसे में हाई कोर्ट द्वारा उन्हें सामान्य वर्ग में स्थानांतरित कर नियुक्ति देने का आदेश गलत है। इस मामले में केंद्र सरकार ने एक जुलाई 1998 के एक ऑफिस मैमोरेंडम का हवाला देते हुए ओबीसी वर्ग के आरक्षित उम्मीदवारों को अनारक्षित वर्ग की रिक्तियों में नियुक्ति देने का विरोध किया था।
उस ऑफिस मेमोरेंडम में कहा गया था कि अगर आरक्षित वर्ग का उम्मीदवार लिखित परीक्षा में शामिल होने के लिए आुय सीमा में छूट, योग्यता में छूट या परीक्षा में शामिल होने के लिए अधिक मौके लेने का लाभ लेता है तो उसे अनारक्षित (सामान्य वर्ग) वर्ग की रिक्ति में नियुक्ति के लिए विचार नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की ये दलील नहीं स्वीकार की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की यह दलील स्वीकार करते हुए कहा कि इस आफिस मैमोरेंडम को देखते हुए हाई कोर्ट का अनारक्षित वर्ग की रिक्ति में नियुक्ति देने का आदेश गलत है।
क्या था मामला?
इस मामले में 2015 में एसएससी ने बीएसएफ, सीआरपीएफ, आइटीबीपी, एसएसबी, एनआइए और एसएसफ तथा असम राइफल में राइफलमैन भर्ती की अधिसूचना निकाली। भर्ती प्रक्रिया में भाग लेने के लिए 18 से 23 वर्ष की आयु सीमा थी, लेकिन आरक्षित वर्ग को छूट दी गई थी। ओबीसी वर्ग को आयु में तीन वर्ष की छूट दी गई थी। इस मामले में प्रतिवादियों ने जो ओबीसी थे तीन वर्ष की आयु सीमा में छूट ली थी।
परीक्षा के बाद इन उम्मीदवारों को असफल घोषित किया गया, क्योंकि उनके नंबर ओबीसी वर्ग के अंतिम चयनित उम्मीदवार से कम थे, लेकिन उनके नंबर सामान्य वर्ग के अंतिम चयनित उम्मीदवार से ज्यादा थे। उन्होंने अनारक्षित वर्ग की रिक्ति में स्थानांतरित कर नियुक्ति देने का दावा किया। इसके लिए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की, लेकिन केंद्र सरकार ने 1998 के आफिस मैमोरेंडम का हवाला देते हुए मांग का विरोध किया।
त्रिपुरा हाई कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के जीतेन्द्र कुमार सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व फैसले को आधार बनाते हुए याचिका स्वीकार कर ली और अनारक्षित वर्ग की रिक्ति में स्थानांतरित कर नियुक्ति देने का आदेश दिया। हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट आयी थी। जिस पर सुप्रीमकोर्ट ने यह फैसला दिया है।
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