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    'जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की समझ नहीं उसे...', SC ने MP के एडिशनल सेशन जज को क्यों लगाई फटकार? पढ़ें क्या है मामला

    Updated: Mon, 21 Jul 2025 11:06 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के एडिशनल सेशन जज उत्सव चतुर्वेदी को कोर्ट के आदेश की अनदेखी पर कड़ी फटकार लगाई। कोर्ट ने कहा कि जिसे सुप्रीम कोर्ट का आदेश समझ नहीं आता वह जज के पद पर रहने लायक नहीं है। हालांकि जज द्वारा बिना शर्त माफी मांगने पर कोर्ट ने उन्हें पश्चाताप के लिए एक सप्ताह का समय दिया और सुनवाई 28 जुलाई तक स्थगित कर दी।

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    जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की समझ नहीं वह जज के पद पर रहने लायक नहीं हैः सुप्रीम कोर्ट।(फाइल फोटो)

    माला दीक्षित , नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी के मामले में पेश हुए मध्य प्रदेश के एक एडिशनल सेशन जज (एएसजे) उत्सव चतुर्वेदी को सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ी फटकार लगाई।

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पेश हुए जज चतुर्वेदी पर नाराजगी जताते हुए शीर्ष अदालत ने कहा जिसे सुप्रीम कोर्ट का आदेश समझ नहीं आता वह जज के पद पर रहने लायक नहीं है। क्यों न तुम्हे अभी ही बर्खास्त किया जाए।

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    हालांकि जज द्वारा बिना शर्त माफी मांगे जाने और वरिष्ठ वकील के मौजूद न होने के कारण सुनवाई स्थगित करने की मांग स्वीकार करते हुए कोर्ट ने माफी के अलावा दिल से पश्चाताप करने के लिए उन्हें एक सप्ताह का और समय दे दिया। मामले में कोर्ट 28 जुलाई को फिर सुनवाई करेगा।

    क्या है मामला?

    जिस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश दतिया के जज उत्सव चतुर्वेदी से स्पष्टीकरण मांगते हुए कोर्ट में तलब किया था उस केस में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अभियुक्त गोविंदशरण श्रीवास्तव को जमानत दिये जाने के बावजूद उसे निचली अदालत से रिहाई नहीं मिली।

    जज उत्सव चतुर्वेदी ने रिहाई की शर्त लगा दी और कोर्ट से स्पष्टीकरण लाने को कहा। जिसके कारण गोविंदशरण के वकील जसबीर सिंह मलिक ने सुप्रीम कोर्ट में नयी अर्जी दाखिल कर आदेश स्पष्ट करने का अनुरोध किया और सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा आदेश पारित किया तब जाकर अभियुक्त को रिहाई मिली। इसलिए जमानत मिलने के बावजूद अभियुक्त करीब डेढ़ महीने तक जेल में रहा था।

    सुप्रीम कोर्ट ने जज उत्सव द्वारा सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अनदेखी करने को गंभीरता से लिया था और उन्हें निजी तौर पर पेश होकर स्पष्टीकरण देने का आदेश दिया था। साथ ही मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से प्रथम एडीशनल सेशन जज उत्सव चतुर्वेदी को एक सप्ताह के लिए ट्रेनिंग पर भेजने का अनुरोध किया था।

    जज उत्सव चतुर्वेदी ने सुप्रीम कोर्ट के आगे मांगी माफी

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर जज उत्सव चतुर्वेदी सोमवार को न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्ला और न्यायमूर्ति एसवीएन भट्टी की पीठ के समक्ष पेश हुए। उन्होंने कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी और कहा गलती हो गई। उनकी ओर से पेश जूनियर वकील ने सीनियर के उपलब्ध न होने की बात कहते हुए कोर्ट से सुनवाई स्थगित करने का अनुरोध किया लेकिन पीठ बहुत नाराज थी।

    पीठ ने जज उत्सव को सामने बुलाया और फिर उन्हें फटकार लगाई। जस्टिस अहसानुद्दीन ने जज उत्सव से कहा आपने उस व्यक्ति (अभियुक्त) के साथ क्या किया। आप अभी तक नौकरी में हैं। क्यों न आपको अभी यहीं बर्खास्त कर दिया जाए। आपको नहीं मालूम कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का कैसे सम्मान करते हैं। आपको न्यायिक आदेश समझना नहीं आता।

    यह अवमानना का गंभीर मामला है: कोर्ट

    शीर्ष अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि ऐसा ज्युडिशयल ऑफीसर नौकरी में रहने लायक नहीं है। जस्टिस अहसानुद्दीन ने कहा क्यों सुनवाई में स्थगन दिया जाए। अभी ही नौकरी से क्यों न हटाया जाए। ये अवमानना का गंभीर मामला है। पीठ ने कहा आपको सुप्रीम कोर्ट का आदेश समझ में नहीं आता। आप कह रहे हैं गलती हो गई।

    वकील ने बार बार माफी मांगते हुए कोर्ट से सुनवाई कम से कम एक दिन के लिए टालने का अनुरोध किया। तभी पीठ के दूसरे न्यायाधीश एसवीएन भट्टी ने वकील से कहा कि हम न्यायिक अधिकारी को खुली अदालत में करेक्ट नहीं करते हैं। आपके मुवक्किल ने इस स्थिति को आमंत्रित किया है। अगर ये थोड़ा सा आत्ममंथन करते और विचार करते कि क्यों ये आदेश पारित किया है तो आज जो स्थिति है वह नहीं होती।

    जस्टिस भट्टी ने कहा कि एक ज्युडिशियल आफीसर होने के नाते हम इनका सम्मान करते हैं। अगर यही गलती किसी और ने की होती तो हमारी प्रतिक्रिया भिन्न होती। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर हमारा ज्युडिशियल ऑफीसर हमारा आदेश नहीं समझेगा तो अन्य शाखाएं क्या करेंगी। अगर किसी कार्यकारी अधिकारी ने अवमानना की होती तो हम उससे बात भी नहीं करते।

    जस्टिस अहसानुद्दीन ने नाराजगी जताते हुए जज उत्सव से यहां तक कहा कि आपका दिमाग आसमान पर है। तभी मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ओर से पेश वकील ने पीठ को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक इन्हें एक सप्ताह की ट्रेनिंग पर भेजा गया था।

    हाई कोर्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अनुपालन रिपोर्ट दाखिल की गई। कोर्ट ने जज की माफी और अनुपालन रिपोर्ट को रिकार्ड में दर्ज करते हुए केस को 28 जुलाई को फिर सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया।

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