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    पाठ्यक्रम में CPR प्रशिक्षण शामिल करने की मांग सुप्रीम कोर्ट से खारिज, कहा- यह पूरी तरह शिक्षा नीति का मामला

    By AgencyEdited By: Babli Kumari
    Updated: Tue, 28 Nov 2023 08:35 PM (IST)

    प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि कई ऐसी विभिन्न चीजें हैं जो बच्चों की सीखनी चाहिए लेकिन अदालत उन सभी को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए सरकार को निर्देश नहीं दे सकती। पीठ ने कहा उन्हें (बच्चों को) पर्यावरण के बारे में सीखना चाहिए। बच्चों को भाईचारे के बारे में सीखना चाहिए।

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    सीपीआर प्रशिक्षण को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने पर SC का फैसला (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली।  सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उस याचिका पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया जिसमें सीपीआर प्रशिक्षण को स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने कहा कि यह पूरी तरह शिक्षा नीति का मामला है।

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    प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पार्डीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि कई ऐसी विभिन्न चीजें हैं जो बच्चों की सीखनी चाहिए, लेकिन अदालत उन सभी को पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए सरकार को निर्देश नहीं दे सकती। पीठ ने कहा, 'उन्हें (बच्चों को) पर्यावरण के बारे में सीखना चाहिए। बच्चों को भाईचारे के बारे में सीखना चाहिए।

    बच्चों को सीपीआर के बारे में सीखना चाहिए

    बच्चों को सीपीआर के बारे में सीखना चाहिए। जो कुछ वांछनीय है, उन सभी को शामिल करने के लिए हम सरकार से नहीं कह सकते। ये ऐसे मामले हैं, जिन पर सरकार को फैसला करना चाहिए।'रांची निवासी याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कोविड-19 के बाद अचानक कार्डियक अरेस्ट की घटनाओं का जिक्र करते हुए कहा कि यह ज्वलंत मुद्दा है।

    सरकार को तय करना चाहिए समग्र पाठ्यक्रम

    इस पर पीठ ने कहा, 'सिर्फ यही क्यों ज्वलंत मुद्दा है, ऐसे कई मुद्दे हैं.. आप स्कूली पाठ्यक्रम के मामले में हस्तक्षेप मत कीजिए। बच्चों को धूमपान नहीं करना चाहिए, यह पूर्ण स्वीकार्यता का मुद्दा है। इसलिए क्या सुप्रीम कोर्ट को इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने के लिए अनुच्छेद-32 के तहत रिट जारी करनी चाहिए।'

    अदालत इस मामले में आदेश जारी करने को इच्छुक नहीं

    पीठ ने कहा कि समग्र पाठ्यक्रम क्या होना चाहिए, यह सरकार को तय करना है। याचिका में उठाया गया मुद्दा पूरी तरह नीतिगत क्षेत्र से जुड़ा है। शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता को सुझावों के साथ उचित अधिकारियों के समक्ष जाने की छूट होगी। अदालत इस मामले में आदेश जारी की इच्छुक नहीं है।

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