वाहनों की प्रदूषण आधारित स्टार रेटिंग तय करना सरकार का काम, सुप्रीम कोर्ट ने दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण मानकों के आधार पर गाड़ियों की स्टार रेटिंग की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला सरकार के अधिकार क्षेत्र में है। याचिकाकर्ता ने सरकार से पर्यावरण अनुकूल वाहन रेटिंग प्रणाली लाने का आग्रह किया था, ताकि प्रदूषण कम हो और लोगों को बेहतर विकल्प मिलें। कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।
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वाहनों की प्रदूषण आधारित स्टार रेटिंग तय करना सरकार का काम (फाइल फोटो)
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। प्रदूषण मानकों के आधार पर गाडि़यों की स्टार रेटिंग की मांग से जुड़ी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई से इंकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि ये तय करना सरकार के अधिकार क्षेत्र का मामला है, लिहाजा याचिकाकर्ता को अपनी अपील लेकर अधिकारियों के पास जाना चाहिए।
प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ ने संजय कुलश्रेष्ठ की याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि ये मामला नीतियां बनानेवाले अधिकारी बेहतर तरीके से सुलझा सकते हैं। पीठ ने कहा कि चूंकि ये मामला राज्य के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए हम इसमें हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
याचिकाकर्ता ने पीठ से की ये मांग
सरकार चाहे तो मेरिट के आधार पर विचार कर सकती है। याचिकाकर्ता ने पीठ से केंद्र सरकार को ये निर्देश देने की गुहार की थी कि वह एक ऐसी वाहन रेटिंग प्रणाली ले आएं, जो लोगों को कम प्रदूषण फैलानेवाली गाडि़यों की पहचान में मददगार बने और लोग ऐसी गाडि़यों का चुनाव कर सकें।
इससे उत्सर्जन कम होगा और स्वास्थ्य समस्याओं में भी कमी आएगी। याचिकाकर्ता के मुताबिक इससे ग्राहकों के पास ईको-फ्रेंडली गाडि़यां खरीदने का विकल्प होगा और वायु प्रदूषण पर रोक भी लगेगी। याचिकाकर्ता ने ये भी कहा था कि ऐसी प्रणाली तमाम विकसित देशों में पहले से लागू है और भारत के मामले में भारत न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम (बीएनकैप) के तहत इस तरह का एक मसौदा जुलाई 2023 से लंबित है।
कितना नुकसानदायक है गाड़ियों से निकलने वाला धुआं
याचिकाकर्ता ने कहा कि इससे संबंधित गजट नोटिफिकेशन जारी हो चुका है, लेकिन 10 साल बीतने के बावजूद ये योजना कागजों से बाहर नहीं आ सकी है। याचिकाकर्ता ने कहा कि वायु प्रदूषण से हर साल 21 लाख भारतीयों की मौत होती है। इसके लिए गाडि़यों के धुएं के साथ निकलनेवाला पीएम 2.5 ज्यादा दुष्प्रभाव छोड़ता है।

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