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    भाजपा कार्यालय के लिए 40 पेड़ काटने पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई फटकार, कहा- कहीं और बना लेते ऑफिस 

    Updated: Wed, 26 Nov 2025 11:30 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को करनाल में भाजपा कार्यालय के लिए 40 पेड़ काटने पर फटकार लगाई। कोर्ट ने पूछा कि पेड़ों को क्यों काटा गया और कार्यालय कहीं और क्यों नहीं बनाया जा सकता था। सरकार ने कहा कि अनुमति ली गई थी और पेड़ लगाने का आश्वासन दिया। कोर्ट ने नुकसान की भरपाई पर सवाल उठाया और जवाबदेह ठहराने की चेतावनी दी। याचिकाकर्ता ने आवासीय क्षेत्र में भाजपा कार्यालय के लिए भूमि आवंटन का विरोध किया।

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    सुप्रीम कोर्ट। (फाइल फोटो)

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार और उसके शहरी विकास निकाय को कड़ी फटकार लगाई, जब उन्होंने करनाल में एक नए बने भाजपा कार्यालय के लिए पहुंच मार्ग बनाने को 40 पूर्ण विकसित पेड़ काट दिए।

    कोर्ट ने बुधवार को इस मामले में सुधारात्मक कार्रवाई की योजना मांगी और चेतावनी दी कि उन्हें ''जवाबदेह'' ठहराया जाएगा। जस्टिस जेबी पार्डीवाला और केवी विश्वनाथन की पीठ एक 1971 के युद्ध के पूर्व सैनिक द्वारा दायर याचिका की सुनवाई कर रही थी, जिसमें उन्होंने 3 मई को उच्च न्यायालय द्वारा उनकी याचिका को खारिज करने को चुनौती दी थी।

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    पीठ ने सरकार से पूछा सवाल

    इस याचिका में हरियाणा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को एक आवासीय क्षेत्र में एक भूखंड के मनमाने आवंटन और उसके कार्यालय के लिए 40 पूर्ण विकसित पेड़ों को उखाड़कर रास्ता बनाने का विरोध किया गया था। पीठ ने हरियाणा सरकार के लिए मामले में उपस्थित अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से पूछा, ''यह दुखद है कि आपने पूर्ण विकसित पेड़ उखाड़ दिए। ये पेड़ क्या हुए? आपके पास क्या स्पष्टीकरण है? आप राजनीतिक पार्टी के कार्यालय को किसी अन्य स्थान पर क्यों नहीं ले जा सकते?''

    सरकार ने कोर्ट को दिया आश्वासन

    बनर्जी ने कहा कि आवंटन के लिए आवश्यक अनुमतियां ली गई थीं और सभी मानदंडों का पालन किया गया था। उन्होंने कोर्ट को आश्वासन दिया कि काटे गए पेड़ों की संख्या के अनुपात में नए पेड़ लगाए जाएंगे।

    पीठ ने बनर्जी से पूछा कि 40 पूर्ण विकसित पेड़ों के नुकसान की भरपाई कौन करेगा। उन्होंने उन्हें एक अच्छा स्पष्टीकरण देने के लिए भी कहा, चेतावनी दी कि राज्य और इसके संस्थान ''जवाबदेह'' ठहराए जाएंगे।

    कोर्ट ने इस आदेश को उस समय पारित किया जब वकील भूपेंद्र प्रताप सिंह ने मामले में 1971 के युद्ध के पूर्व सैनिक कर्नल (सेवानिवृत्त) दविंदर सिंह राजपूत के लिए पेश हुए। वीर चक्र से सम्मानित राजपूत ने बताया कि उन्होंने हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण (एचएसवीपी) से सेक्टर 9, शहरी एस्टेट, करनाल में एक हजार वर्ग गज का एक भूखंड खरीदा था। उन्हें अपने भूखंड के निकट आवासीय प्लांटेड कालोनी में सत्तारूढ़ राजनीतिक पार्टी को मनमाने ढंग से भूमि आवंटन के कारण दुख हुआ है, जो हरियाणा शहरी विकास अधिनियम, 1977 और नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग की संबंधित नीतियों का पूर्ण उल्लंघन है।

    याचिका में क्या कहा गया?

    याचिका में कहा गया, ''याचिकाकर्ता को 10 मीटर चौड़ा पथ बनाने के लिए 40 पेड़ों के काटने से भी दुख हुआ है, जो याचिकाकर्ता के घर के सामने 100 मीटर हरे बेल्ट के माध्यम से है।'' 15 अक्टूबर को सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया कि वह उस तथाकथित विकास के संबंध में स्थिति को बनाए रखे जो किया गया है।

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