'अगर मरीज मर गया तो ऑपरेशन कैसे सफल हुआ?', BRS विधायकों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने आज (04 मार्च) तेलंगाना विधानसभा अध्यक्ष द्वारा सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल हुए बीआरएस विधायकों की अयोग्यता की याचिकाओं पर निर्णय लेने में देरी पर सवाल उठाया। कोर्ट ने पूछा कि क्या हर बार ऐसा हो सकता है कि ऑपरेशन सफल हो लेकिन मरीज मर जाए? इस मामले पर कोर्ट ने तेलंगाना सरकार को नोटिस जारी किया है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत राष्ट्र समिति (BRS) के विधायकों की अयोग्यता से जुड़े मामले पर सुप्रीम कोर्ट में आज (04 मार्च) सुनवाई हुई। इस मामले पर कोर्ट ने तेलंगाना सरकार को नोटिस जारी किया है।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि विधायकों की अयोग्यता पर विधानसभा अध्यक्ष याचिकाओं पर फैसला लेने में देरी कर रहे हैं। कोर्ट ने इस मामले पर टिप्पणी करते हुए पूछा कि क्या हर बार ऐसा हो सकता है कि ऑपरेशन सफल हो लेकिन मरीज मर जाए?
25 मार्च को होगी अगली सुनवाई
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने राज्य सरकार, स्पीकर कार्यालय, तेलंगाना विधानसभा सचिव, भारत के चुनाव आयोग और दलबदलू विधायकों से अगली सुनवाई से पहले जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 25 मार्च को होगी।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश बीआर गवई ने पूछा, "ऐसा नहीं हो सकता कि ऑपरेशन सफल हो जाए लेकिन मरीज मर जाए। अयोग्यता नोटिस पर फैसला करने का सही समय क्या है? क्या यह स्पीकर के कार्यकाल के अंतिम समय में होना चाहिए? लोकतांत्रिक मानदंडों का क्या होगा?"
एक याचिका में सत्तारूढ़ कांग्रेस में शामिल हुए तीन बीआरएस विधायकों की अयोग्यता पर तेलंगाना उच्च न्यायालय के नवंबर 2024 के आदेश को चुनौती दी गई है, जबकि दूसरी याचिका दलबदल करने वाले शेष सात विधायकों के बारे में है।
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