'गरीब को जरूरी दवाइयां देने में फेल हुई राज्य सरकार', SC ने प्राइवेट अस्पताल की फार्मेसियों के मुद्दे पर की सुनवाई
जस्टिस सूर्यकांत और एनके सिंह की पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें तर्क दिया गया था कि निजी अस्पताल इन-हाउस फार्मेसियों से दवाइयां खरीदने के लिए मजबूर कर रहे थे।इसको लेकर कोर्ट ने कहा- उचित चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करना राज्यों का कर्तव्य है। लेकिन राज्ये सरकारें इसमें पूरी तरह से फेल हो गई हैं उन्होंने निजी संस्थाओं को सुविधा प्रदान की और बढ़ावा दिया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दवाइयों की सुविधा को लेकर राज्य सरकार की आलोचना की है। कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें किफायती मेडिकल देखभाल और बुनियादी ढांचे को सुनिश्चित करने में विफल रही हैं।
कोर्ट ने समाज के गरीब तबके के लोगों के लिए सही दाम पर दवाइयां, खास तौर पर आवश्यक दवाइयां उपलब्ध कराने में राज्यों की विफलता की तीखी आलोचना की।
कोर्ट ने कहा-
ये राज्य सरकार की गलती है, इस असफलता ने प्राइवेट अस्पतालों को सुविधा प्रदान की और बढ़ावा दिया।
'फार्मेसियों से खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं'
जस्टिस सूर्यकांत और एनके सिंह की पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तर्क दिया गया था कि निजी अस्पताल मरीजों और उनके परिवारों को दवाइयां, प्रत्यारोपण और अन्य चिकित्सा देखभाल की वस्तुएं इन-हाउस फार्मेसियों से खरीदने के लिए मजबूर कर रहे हैं, जो अत्यधिक मार्क-अप लगाती हैं।
जनहित याचिका में निजी अस्पतालों को निर्देश देने की मांग की गई थी कि वे मरीजों को केवल अस्पताल की फार्मेसियों से ही खरीदने के लिए मजबूर न करें और यह भी आरोप लगाया गया कि केंद्र और राज्य विनियामक और सुधारात्मक उपाय करने में विफल रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप मरीजों का शोषण किया जा रहा है।
क्या बोला कोर्ट?
- इसको लेकर कोर्ट ने कहा कि उचित चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करना राज्यों का कर्तव्य है।
- इसने यह भी देखा कि कुछ राज्य अपेक्षित चिकित्सा देखभाल प्रदान करने में सक्षम नहीं थे और इसलिए, उन्होंने निजी संस्थाओं को सुविधा प्रदान की और बढ़ावा दिया।
- टॉप अदालत ने पहले इस मुद्दे पर राज्यों को नोटिस जारी किया था।
- ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान सहित कई राज्यों ने जवाबी हलफनामे दायर किए थे।
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