सुप्रीम कोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को किया रद
सुप्रीम कोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में एक सरकारी अधिकारी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद करने वाले कर्नाटक हाई कोर्ट के एक आदेश को खारिज करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य का पैमाना सभी के लिए एक जैसा नहीं हो सकता
नई दिल्ली, प्रेट्र। सुप्रीम कोर्ट ने आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में एक सरकारी अधिकारी के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही को रद करने वाले कर्नाटक हाई कोर्ट के एक आदेश को खारिज करते हुए कहा कि किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को 'सभी के लिए एक ही सांचा उपयुक्त होने के' दृष्टिकोण में संकुचित नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने हाई कोर्ट की उस टिप्पणी को गलत करार दिया कि 'सुसाइड नोट' में लगाए गए आरोपों की पुष्टि करने के लिए कोई सामग्री नहीं है।
पीठ ने कहा, 'एकल न्यायाधीश ने, सीआरपीसी की धारा 482 के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए मामले के गुण-दोष पर निर्णय लेने के अलावा, मानसिक स्वास्थ्य के महत्व को कम करने वाली टिप्पणियां भी की हैं। किसी व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य को 'सभी के लिए एक ही सांचा उपयुक्त होने' के दृष्टिकोण में संकुचित नहीं किया जा सकता है।
मृतक का व्यवहार उदास और मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित व्यक्ति जैसा नहीं था
शीर्ष अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट की एकल पीठ ने आत्महत्या करने का फैसला करने वाले को 'कमजोर दिल का व्यक्ति' करार दिया है और यह भी जिक्र किया है कि आत्महत्या करने से पहले मृतक का व्यवहार उदास और मानसिक स्वास्थ्य से पीड़ित व्यक्ति जैसा नहीं था।
सरकारी अधिकारी के चालक ने आत्महत्या कर ली थी
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला कर्नाटक द्वारा एक सरकारी अधिकारी के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले को रद करने के हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर एक अपील पर आया। सरकारी अधिकारी के चालक ने आत्महत्या कर ली थी और उसने एक नोट छोड़ा था, जिसमें आरोपी पर भ्रष्टाचार के जरिए जमा काले धन को सफेद बनाने का आरोप लगाया था।
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