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    CAG Appointment: CAG की नियुक्ति प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका, SC ने केंद्र सरकार से मांगा जवाब

    By Jagran News Edited By: Abhinav Atrey
    Updated: Thu, 25 Jan 2024 05:36 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में कैग की नियुक्ति की प्रक्रिया को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि प्रक्रिया स्वतंत्र निष्पक्ष और पारदर्शी नहीं है। याचिका में कहा गया है कि कैग की नियुक्ति करने वाली कार्यपालिका की मौजूदा प्रणाली में पारदर्शिता का अभाव है।

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    CAG की नियुक्ति प्रक्रिया पर सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका (फाइल फोटो)

    पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की नियुक्ति की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में कैग की नियुक्ति की प्रक्रिया को इस आधार पर चुनौती दी गई है कि प्रक्रिया स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी नहीं है।

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    चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश सीनियर वकील विकास सिंह की दलीलों पर ध्यान देते हुए जवाब मांगा। इसमें कहा गया है कि कैग की नियुक्ति करने वाली कार्यपालिका की मौजूदा प्रणाली में पारदर्शिता का अभाव है।

    कानून, न्याय और वित्त मंत्रालय को नोटिस जारी

    यह जनहित याचिका अनुपम कुलश्रेष्ठ और अन्य द्वारा दायर की गई है, जिसपर पीठ ने केंद्रीय कानून और न्याय और वित्त मंत्रालय को नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही याचिका में कोर्ट से निर्देश देने की मांग की गई है कि कैग की नियुक्ति के लिए अपनाई गई प्रक्रिया भारत के संविधान के आदेश के खिलाफ है और यह स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी नहीं है।

    प्रधानमंत्री को भेजी जाती है शॉर्टलिस्ट नामों की लिस्ट

    याचिका में कहा गया है कि मौजूदा प्रणाली के तहत, केंद्रीय कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाला कैबिनेट सचिवालय, नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति के लिए विचार करने के लिए प्रधानमंत्री को शॉर्टलिस्ट किए गए नामों की एक लिस्ट भेजता है।

    प्रधानमंत्री शॉर्टलिस्ट किए गए नामों पर करते हैं विचार

    जनहित याचिका में कहा गया है कि प्रधानमंत्री शॉर्टलिस्ट किए गए नामों पर विचार करते हैं और उनमें से एक को मंजूरी के लिए भारत के राष्ट्रपति के पास भेजते हैं और राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद, चुने गये अधिकारी को कैग के रूप में नियुक्त किया जाता है।

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