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    Republic Day 2024: आजादी के बाद 29 महीने बिना संविधान कैसे चला देश?

    Republic Day 2024 साल 1947 में जब देश आजाद हुआ तो उसके पास अपना खुद का संविधान नहीं था और संविधान बनाने के लिए समय की जरूरत थी क्योंकि एक दिन में इसे बनाना संभव नहीं था। अब इसे बनाने के लिए लिए संविधान सभा का गठन किया गया। 29 महीनों तक देश कैसे बिना संविधान के चला था आज इस रोचक तथ्य को हम बताएंगे।

    By Mahen Khanna Edited By: Mahen Khanna Updated: Fri, 26 Jan 2024 08:19 AM (IST)
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    75th Republic Day 2024 बिना संविधान के इस तरह चला देश।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 75th Republic Day 2024 26 जनवरी के दिन देश 75वां गणतंत्र दिवस मनाने वाला है। गणतंत्र दिवस पर धूमधाम से कई राज्यों की झांकियां निकाली जाएगी। भारत 15 अगस्त 1947 को आजाद तो हो गया था, लेकिन उसे संविधान 26 जनवरी 1950 में मिला। 

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    आखिर इन 29 महीनों तक देश कैसे बिना संविधान के चला था, आज इस रोचक तथ्य को हम बताएंगे। 

    29 महीने कैसे चला देश 

    1947 में जब देश आजाद हुआ तो उसके पास अपना खुद का संविधान नहीं था और संविधान बनाने के लिए समय की जरूरत थी, क्योंकि एक दिन में इसे बनाना संभव नहीं था। अब इसे बनाने के लिए लिए संविधान सभा का गठन किया गया। 

    देश चलाने के लिए लिया गया ये फैसला

    हालांकि, संविधान बनने तक देश को चलाने के लिए इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट-1947 को प्रभाव में लाया गया। इसके अंदर गवर्मेंट ऑफ इंडिया एक्ट 1935 को शामिल किया गया, जो ब्रिटिश संसद में पारित हुआ था। जब तक संविधान नहीं बनता तब तक इसको इस्तेमाल करने का फैसला हुआ। इसे सबसे बड़े कानूनी दस्तावेजों में से एक माना जाता है।

    संविधान बनने में लगे 2 साल

    संविधान सभा के गठन के बाद इसने 9 दिसंबर 1947 में काम करना प्रारंभ किया। भारत के राज्यों की सभाओं के निर्वाचित सदस्यों को इसका सदस्य बनाया गया। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, डॉ. राजेंद्र प्रसाद, सरदार वल्लभभाई पटेल, श्यामा प्रसाद मुखर्जी, डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर और मौलाना अबुल कलाम आजाद इस सभा के सदस्य थे।

    राजेंद्र प्रसाद को इस सभा का सभापति बनाया गया था, वहीं बाबासाहब भीमराव अबेडकर को ड्राफ्ट कमेटी का अध्यक्ष निर्वाचित किया गया था। संविधान सभा ने 2 साल से ज्यादा का समय लेकर कई बैठकें कर आखिरकार संविधान का निर्माण किया।

    बता दें कि इस संविधान सभा की बैठकों में हिस्सा लेने के लिए आम लोगों के साथ प्रेस के लोगों को भी शामिल होने की छूट थी।

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