घर खरीदारों के लिए बड़ी जीत... सुप्रीम कोर्ट ने बिल्डरों-बैंकों में साठगांठ मामलों में CBI को जांच की अनुमति दी
सुप्रीम कोर्ट ने एनसीआर में घर खरीदारों से धोखाधड़ी करने वाले बिल्डरों और बैंकों के साठगांठ से जुड़े 22 मामलों में मंगलवार को सीबीआइ को प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति दे दी। जांच के दायरे में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के बिल्डर उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा के विकास प्राधिकरण शामिल हैं। पीठ 1200 से अधिक मकान खरीदारों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने एनसीआर में घर खरीदारों से धोखाधड़ी करने वाले बिल्डरों और बैंकों के साठगांठ से जुड़े 22 मामलों में मंगलवार को सीबीआइ को प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति दे दी। जांच के दायरे में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के बिल्डर, उत्तर प्रदेश तथा हरियाणा के विकास प्राधिकरण शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने छह प्रारंभिक जांच नियमित मामलों में बदलने की दी मंजूरी
जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने सीबीआइ को विभिन्न बिल्डरों और बैंकों के खिलाफ की गई छह प्रारंभिक जांचों को प्राथमिकी के समकक्ष 22 नियमित मामलों में बदलने की अनुमति दी है। पीठ 1,200 से अधिक मकान खरीदारों द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।
एनसीआर क्षेत्र, विशेष रूप से नोएडा, ग्रेटर नोएडा और गुरुग्राम में विभिन्न आवास परियोजनाओं में फ्लैट बुक करने वाले इन याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि फ्लैटों पर कब्जा न होने के बावजूद बैंकों द्वारा उन पर ईएमआइ का भुगतान करने के लिए दबाव डाला जा रहा है। फ्लैट खरीदारों ने सबवेंशन योजनाओं के तहत फ्लैट बुक कराए थे।
बिल्डरों ने बैंकों को ईएमआइ का भुगतान नहीं किया
इस योजना के तहत बैंक स्वीकृत राशि सीधे बिल्डरों के खातों में जमा कर देते हैं। बिल्डरों को तब तक स्वीकृत ऋण राशि पर ईएमआइ का भुगतान करना होता है, जब तक कि फ्लैट घर खरीदारों को नहीं सौंप दिए जाते। जब बिल्डरों ने बैंकों को ईएमआइ का भुगतान नहीं किया तो बैंकों ने घर खरीदारों से ईएमआइ की मांग की।
29 मार्च को शीर्ष अदालत ने सीबीआइ को एनसीआर क्षेत्र यानी नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुरुग्राम, यमुना एक्सप्रेसवे और गाजियाबाद में बिल्डरों और परियोजनाओं के मामलों में पांच प्रारंभिक जांच की अनुमति दी थी।
22 नियमित मामले दर्ज किए जाने की जरूरत
शीर्ष अदालत ने मंगलवार को सीबीआइ द्वारा सीलबंद लिफाफे में पेश रिपोर्ट का अवलोकन किया। इसमें सुझाव दिया गया है कि बिल्डरों और वित्तीय संस्थानों की ओर से संज्ञेय अपराध का पता लगाने के लिए मामलों की प्रारंभिक जांच करने के बाद आगे की जांच के लिए 22 नियमित मामले दर्ज किए जाने की जरूरत है।
सीबीआइ करेगी मामले की जांच
पीठ ने कहा सीबीआइ नियमित मामले दर्ज कर कानून के अनुसार कार्रवाई करेगी। पीठ ने एनसीआर के बाहर की परियोजनाओं पर सातवीं प्रारंभिक जांच के लिए एजेंसी को छह सप्ताह का समय दिया।
शीर्ष अदालत ने सीबीआइ की ओर से पेश अतिरिक्त सालिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को निर्देश दिया कि वे सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट के कुछ हिस्से न्यायमित्र राजीव जैन के साथ साझा करें। इसने सीबीआइ से एमिकस द्वारा दायर रिपोर्ट की जांच करने को कहा और इसे आंखें खोलने वाली रिपोर्ट बताया।
एनसीआर के घर खरीदारों के खिलाफ धोखाधड़ी से संबंधित हैं ये मामले
इसमें रेरा सहित विकास प्राधिकरणों के लेन-देन में पारदर्शिता की आवश्यकता और बेईमान बिल्डरों से घर खरीदारों के हितों की रक्षा के उपायों के बारे में बताया गया है। न्याय मित्र या एमीकस क्यूरी की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पीठ ने कहा कि कुछ घर खरीदारों, जिनकी संख्या बहुत कम है, को उनके फ्लैटों का कब्जा देने की पेशकश की गई थी, लेकिन उन्होंने इसे लेने से इनकार कर दिया और इसके बजाय मुकदमा करना उचित समझा।
पीठ ने कहा, हम उन घर खरीदारों की बात नहीं सुनेंगे, जिनकी संख्या बहुत कम है और उन्हें अदालत का दुरुपयोग करने की अनुमति नहीं देंगे। मामले की अगली सुनवाई 10-15 दिनों में होगी। 29 अप्रैल को शीर्ष अदालत ने सीबीआइ को सुपरटेक लिमिटेड सहित एनसीआर के बिल्डरों के खिलाफ सात प्रारंभिक जांच दर्ज करने का निर्देश दिया था।
चेक बाउंस मामलों में शीर्ष अदालत ने गुरुग्राम के ट्रायल कोर्ट से जताई नाराजगी
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुग्राम के ट्रायल कोर्ट द्वारा घर खरीदारों के खिलाफ दिए गए आदेशों पर नाराजगी जताते हुए कहा कि वह मामले की जांच करेगा। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने गुरुग्राम अदालत के जिला एवं सत्र न्यायाधीश से कहा कि वे इस मामले की जांच करें।
फ्लैटों पर कब्जा देने में देरी हो रही
पीठ ने कहा, हमें गुरुग्राम ट्रायल कोर्ट के बारे में काफी जानकारी मिल रही है। हम इस पर गौर करेंगे और देखेंगे कि क्या किया जा सकता है। कुछ घर खरीदारों ने अपने वकील के माध्यम से कहा कि गुरुग्राम की निचली अदालत विभिन्न आवासीय परियोजनाओं से संबंधित साधारण चेक बाउंस मामलों में उनके खिलाफ आदेश पारित कर रही है और उनके फ्लैटों पर कब्जा देने में देरी हो रही है।
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