1.9 करोड़ की धोखाधड़ी, सुप्रीम कोर्ट ने खामियों पर दिल्ली के जजों को ट्रेनिंग के दिए निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने 1.9 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी मामले में जमानत आदेशों में खामियों को देखते हुए दिल्ली के एसीएमएम और सेशन जज को दिल्ली न्यायिक अकादमी में सात दिनों का प्रशिक्षण लेने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने मेसर्स नेटसिटी सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड की अपील पर यह फैसला सुनाया।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। 1.9 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी मामले में जमानत आदेशों में गंभीर खामियों को रेखांकित करने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने एक आदेश में दिल्ली के एक एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट (एसीएमएम) और सेशन जज को दिल्ली न्यायिक अकादमी में सात दिनों का अनिवार्य प्रशिक्षण लेने का निर्देश दिया है।
शीर्ष अदालत ने यह आदेश आरोपित दंपती शिक्षा राठौर और उनके पति के पक्ष में दिए गए कई जमानत आदेशों के विरुद्ध मेसर्स नेटसिटी सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड की अपील को स्वीकार करते हुए दिया। शीर्ष अदालत ने अपने 25 सितंबर के फैसले में जमानत रद करते हुए आरोपितों को दो सप्ताह के भीतर निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण करने को कहा।
जमानत बरकरार
एसीएमएम द्वारा दी गई जमानत को सेशन कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट ने बरकरार रखा था। फैसला लिखने वाले जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा, ''अगर हम एसीएमएम द्वारा अभियुक्त को जमानत देने और सेशन कोर्ट द्वारा जमानत आदेश में हस्तक्षेप करने से इन्कार करने के तरीके की अनदेखी करते हैं तो हम अपने कर्तव्य निभाने में विफल होंगे। लिहाजा यह उचित होगा कि 10 नवंबर, 2023 और 16 अगस्त, 2024 के आदेश पारित करने वाले न्यायिक अधिकारियों को कम से कम सात दिनों का विशेष न्यायिक प्रशिक्षण दिया जाए।''
शीर्ष अदालत ने दिल्ली हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से उनके प्रशिक्षण की उचित व्यवस्था करने का अनुरोध किया। सुप्रीम कोर्ट ने मामले के जांच अधिकारी (आइओ) की भूमिका की भी आलोचना की, जिन्होंने कहा था कि अभियुक्तों से हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है और आरोपपत्र पहले ही दायर किया जा चुका है।
शीर्ष कोर्ट ने दिल्ली पुलिस आयुक्त को निर्देश दिया कि वह आइओ के आचरण की जांच करें और आवश्यकतानुसार उचित कार्रवाई करें। यह मामला 2017 में दर्ज शिकायत से जुड़ा है। इसमें आरोप लगाया गया था कि दंपती ने जमीन हस्तांतरित करने के वादे पर नेटसिटी सिस्टम्स प्राइवेट लिमिटेड से 1.9 करोड़ रुपये लिए थे। जांच में पता चला कि जमीन पहले ही गिरवी रखी थी और बाद में किसी तीसरे को बेच दी गई थी।
कब कराई गई थी प्राथमिकी
एसीएमएम के आदेश पर 2018 में प्रीत विहार पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। कार्यवाही के दौरान दंपती ने दिसंबर, 2018 में दिल्ली हाई कोर्ट से अंतरिम जमानत प्राप्त कर ली थी, जो लगभग चार वर्ष जारी रही। इस बीच दोनों पक्षों के बीच मध्यस्थता भी हुई, लेकिन दंपती ने अपनी प्रतिबद्धता नहीं निभाई।
लिहाजा उनकी अग्रिम जमानत हाई कोर्ट ने एक फरवरी, 2023 को खारिज कर दी। इसके बावजूद एसीएमएम ने उन्हें नवंबर, 2023 में जमानत दे दी। सेशन जज ने अगस्त, 2024 में इस आदेश को बरकरार रखा। बाद में दिल्ली हाई कोर्ट की एकल पीठ ने नवंबर, 2024 में उक्त आदेश के विरुद्ध कंपनी की अपील खारिज कर दी थी।
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