शिक्षा से वंचित अनाथ बच्चों का होगा सर्वे, सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को दिया निर्देश; कहा- कारण भी पता करें
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों को शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत शिक्षा से वंचित अनाथ बच्चों का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया है। अदालत ने केंद्र से 2027 की जनगणना में ऐसे बच्चों के आंकड़े शामिल करने पर विचार करने को कहा है। राज्यों को यह भी पता लगाने को कहा गया है कि यदि बच्चे शिक्षा से वंचित हैं तो इसके क्या कारण हैं।

पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सभी राज्यों को ऐसे अनाथ बच्चों का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया, जो 'बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार अधिनियम, 2009' के तहत शिक्षा से वंचित हैं।
जस्टिस बीवी नागरत्ना और केवी विश्वनाथन की पीठ ने इसके साथ ही केंद्र से कहा कि वह 2027 में होने वाली आगामी जनगणना में ऐसे बच्चों के आंकड़ों को शामिल करने पर विचार करे। शीर्ष अदालत देखभाल और संरक्षण की जरूरत वाले अनाथ बच्चों के लिए चिंता जताने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
अनाथ बच्चों का सर्वेक्षण करने का निर्देश
पीठ ने राज्यों को उन अनाथ बच्चों का सर्वेक्षण करने का निर्देश दिया, जिन्हें अधिनियम के तहत स्कूलों में प्रवेश दिया गया था। याचिकाकर्ता ने कहा कि अनाथ बच्चों के संरक्षण और देखभाल के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की योजनाएं अपर्याप्त हैं। इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्यों को उन अनाथ बच्चों का सर्वेक्षण करना होगा, जिन्हें अधिनियम के तहत पहले ही प्रवेश दिया जा चुका है। साथ ही उन बच्चों का भी सर्वेक्षण करना होगा, जो अधिनियम के तहत मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं। यह भी पता लगाना होगा कि यदि ऐसा है, तो इसके पीछे क्या कारण हैं? राज्यों को इस संबंध में हलफनामा दाखिल करना होगा।
कोर्ट ने दिया चार सप्ताह का समय
सर्वेक्षण और डाटा संग्रह जारी रखने के साथ ही पीठ ने यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि योग्य बच्चों को आस-पड़ोस के स्कूलों में प्रवेश मिले। पीठ ने निर्देशों का पालन करने के लिए अधिकारियों को चार सप्ताह का समय दिया। यह तथ्य रिकार्ड पर आया कि गुजरात, दिल्ली, मेघालय और सिक्किम सहित कई राज्यों ने कमजोर वर्गों और वंचित समूहों के संबंध में 25 प्रतिशत कोटे के अंतर्गत अनाथ बच्चों को शामिल करने के लिए पहले ही अधिसूचनाएं जारी कर दी हैं।
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