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    आवारा कुत्तों पर SC के आदेश के बाद मची हाय-तौबा, सोशल मीडिया पर छिड़ी गंभीर बहस; पढ़िए क्या बोले Dog Lovers?

    Updated: Tue, 12 Aug 2025 01:43 PM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर से आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने का आदेश दिया है जिससे सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई है। कोर्ट ने नगर निकायों को शेल्टर बनाने और डॉग बाइट हेल्पलाइन शुरू करने के निर्देश दिए हैं। कुछ लोग इस फैसले का समर्थन कर रहे हैं वहीं कुछ इसे क्रूर बता रहे हैं। कोर्ट ने कहा है कि आदेश में रुकावट डालने वालों पर कार्रवाई होगी।

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    शीर्ष न्यायालय के इस आदेश के बाद सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई है।

    डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR के इलाकों से सभी आवारा कुत्तों को तुरंत हटाने का सेल्टर होम भेजने का आदेश दिया है। शीर्ष न्यायालय के इस आदेश के बाद सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई है।

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    कोर्ट ने दिल्ली सरकार और गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद की नगर निकायों को आदेश दिया कि सभी आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर शेल्टर होम्स में रखा जाए और इन्हें दोबारा सड़कों पर न छोड़ा जाए।

    यह फैसला एक ओर तो रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन्स (RWAs) के लिए राहत की खबर है, वहीं दूसरी ओर जानवरों के हक में आवाज उठाने वालों ने इसे खतरनाक कदम बताया है। उनका कहना है कि इस आदेश को लागू करने के लिए न तो जमीन है और न ही पर्याप्त फंड है।

    सोशल मीडिया पर छिड़ गई बहस

    सोशल मीडिया पर इस मुद्दे ने तूल पकड़ ली है। एक यूजर ने तंज कसते हुए लिखा, "जो लोग आवारा कुत्तों से इतना प्यार करते हैं, वो अपने घरों में कुछ कुत्तों को जगह दें। उनकी वैक्सीनेशन, ट्रेनिंग और इलाज का खर्चा उठाएं। बासी चपातियां खिलाकर कोई जानवरों का हितैषी नहीं बन जाता।"

    एक अन्य यूजर ने कहा, "किसी को अपने तीन साल के बच्चे की जान खतरे में क्यों डालनी पड़े, सिर्फ इसलिए कि कोई आवारा कुत्तों के लिए हमदर्दी दिखा रहा है? बात सीधी है।"

    एक यूजर ने लिखा, "रात की शिफ्ट में काम करने वालों से पूछिए, दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों का आतंक कैसा है। मैं खुद कुत्तों से प्यार करता हूं, लेकिन इस समस्या को रोकना जरूरी है। मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का समर्थन करता हूं।"

    वहीं, दूसरी तरफ कुछ लोग इस आदेश को क्रूर बता रहे हैं। एक यूज़र ने लिखा, "सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला गलत है। इंसान का खाद्य श्रृंखला (Food Chain) में सबसे ऊपर होना महज इत्तिफाक है। हम दूसरी प्रजातियों को खत्म करने का हक नहीं रखते। यह फैसला न सिर्फ बेरहमी है, बल्कि जीव विज्ञान की बुनियादी समझ को भी नजरअंदाज करता है।"

    एक अन्य यूज़र ने कहा, "दिल्ली की हर गली के हर कुत्ते के लिए यह फैसला मौत की सजा है। हम सबको इसके खिलाफ आवाज उठानी चाहिए।"

    कोर्ट ने आदेश में क्या कहा है?

    सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR के नगर निकायों को 6 से 8 हफ्तों में कम से कम 5,000 कुत्तों के लिए शेल्टर तैयार करने का आदेश दिया है। इन शेल्टर्स में स्टेरलाइजेशन और वैक्सीनेशन के लिए पर्याप्त कर्मचारी, सीसीटीवी निगरानी और भविष्य में विस्तार की सुविधा होनी चाहिए।

    कोर्ट ने यह भी कहा कि कुत्तों को छोड़ने की कोई गुंजाइश नहीं होगी। साथ ही, डॉग बाइट की शिकायतों के लिए एक हेल्पलाइन शुरू करने का निर्देश दिया गया है। कोर्ट ने साफ कहा, "सभी आवारा कुत्तों को, चाहे स्टेरलाइज़्ड हों या नहीं, हटाया जाए।"

    नगर निकायों को इस काम को अपने तरीके से करने की छूट दी गई है और जरूरत पड़े तो एक खास फोर्स भी बनाई जा सकती है। कोर्ट ने चेतावनी दी कि इस आदेश में रुकावट डालने वालों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई होगी।

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